आंबेडकर के कुल का मूल विदर्भ के पवनी नगर, भंडारा जिल्हा से !
डॉ बाबासाहेब भीमराव रामजी आंबेडकर का जन्म स्थल महू आज के मध्य प्रदेश माना जाता है। बाबासाहेब के पिताजी ब्रिटिश फौज में रहे है तब उनका कुल नाम सकपाल हुवा करता था। वे सतारा और रत्नागिरी में भी रहे जहा उनका कुल नाम अम्बावडेकर था जिसे बाबासाहेब के प्राथमिक शिक्षक ने बदलकर आंबेडकर कर दिया जिसे अब सभी लोग जानते है।
ऐसा प्रतीति होता है बाबासाहेब आंबेडकर का कुल नाग वंशी था जिसे वे कई बार खुद जगजाहिर कर चुके है। उन्हें विदर्भ - नागपुर - भंडारा परिसर से विशेष लगाव रहा है वे मुंबई से १९५२ का लोकसभा चुनाव हरने के बाद उन्होंने विदर्भ के भंडारा मध्य कालीन चुनाव १९५४ में समाजवादी लोगो के साथ युति कर लढा पर तथाकथित समजवादी लोगो ने उन्हें धोका दिया वे हार गए।
इस दरमियान बाबासाहेब का पवनी नगरी , भंडारा जिल्हा में अपने प्रचार के लिए आना हुवा उनकी आम सभा पवनी के बाल समद्र के पास के विस्तीर्ण जगह पर हुवी। जिस के लिए पवनी के शुक्रवारी वार्ड ,घोड़ेघाट वार्ड आदि वार्ड से कई जाने माने लोग इस सभा को सफल बनाने के लिए जुट गए थे जिसमे पिठूजी राउत , मंसाराम राउत , डोमाजी राउत , गणपतराव खापर्डे , गणवीर टेलर , लोभा घोडेस्वार टेलर , मोटघरे दलाल , बोड़ेले दलाल आदि प्रमुख थे जिन के मार्गदर्शन में उस समय के युवा पांडुरंग राउत , मधुकर खापर्डे , गजभिये , लोखंडे आदि युवा को मैदान साफ रखने के लिए विशेष तौर पर नियुक्त किया गया था गांव , कसबे से बड़ी भीड़ जुट गयी थी ऐसा बताया जाता है। उस समय बाबासाहेब आंबेडकर पवनी सरकारी सर्किट हाउस पर रुके थे जहा उनकी चर्चा गांव के प्रमुख कार्यकर्ता से हुवी थी जिस में पिठूजी राउत , गणपतराव खापर्डे आदि थे उस समय भी बाबासाहेब आंबेडकर पवनी नगरी को बड़ी भाग्य शाली बताते रहे और इसे नागोकी नगरी , बौद्धों की नगरी , विद्या की नगरी कहते रहे। वे अपने आप को अपने पूर्वजो को नागवंशी कहते थे और उनके लगता था उनके पुरखे इसी पुण्य नगरी पवनी से खास कर सिपाही , सैनिक , राउत रहे होंगे जो समय के साथ इधर उधर गए होंगे।
रामजी , मालोजी के पूर्वज जरूर सिपाही अर्थात राउत रहे होंगे ऐसा उनके परम्परगत सैनिकी पेशेसे जान पड़ता है और वे खास कर पवनी से रहे होंगे !
नेटिविस्ट डी डी राउत
डॉ बाबासाहेब भीमराव रामजी आंबेडकर का जन्म स्थल महू आज के मध्य प्रदेश माना जाता है। बाबासाहेब के पिताजी ब्रिटिश फौज में रहे है तब उनका कुल नाम सकपाल हुवा करता था। वे सतारा और रत्नागिरी में भी रहे जहा उनका कुल नाम अम्बावडेकर था जिसे बाबासाहेब के प्राथमिक शिक्षक ने बदलकर आंबेडकर कर दिया जिसे अब सभी लोग जानते है।
ऐसा प्रतीति होता है बाबासाहेब आंबेडकर का कुल नाग वंशी था जिसे वे कई बार खुद जगजाहिर कर चुके है। उन्हें विदर्भ - नागपुर - भंडारा परिसर से विशेष लगाव रहा है वे मुंबई से १९५२ का लोकसभा चुनाव हरने के बाद उन्होंने विदर्भ के भंडारा मध्य कालीन चुनाव १९५४ में समाजवादी लोगो के साथ युति कर लढा पर तथाकथित समजवादी लोगो ने उन्हें धोका दिया वे हार गए।
इस दरमियान बाबासाहेब का पवनी नगरी , भंडारा जिल्हा में अपने प्रचार के लिए आना हुवा उनकी आम सभा पवनी के बाल समद्र के पास के विस्तीर्ण जगह पर हुवी। जिस के लिए पवनी के शुक्रवारी वार्ड ,घोड़ेघाट वार्ड आदि वार्ड से कई जाने माने लोग इस सभा को सफल बनाने के लिए जुट गए थे जिसमे पिठूजी राउत , मंसाराम राउत , डोमाजी राउत , गणपतराव खापर्डे , गणवीर टेलर , लोभा घोडेस्वार टेलर , मोटघरे दलाल , बोड़ेले दलाल आदि प्रमुख थे जिन के मार्गदर्शन में उस समय के युवा पांडुरंग राउत , मधुकर खापर्डे , गजभिये , लोखंडे आदि युवा को मैदान साफ रखने के लिए विशेष तौर पर नियुक्त किया गया था गांव , कसबे से बड़ी भीड़ जुट गयी थी ऐसा बताया जाता है। उस समय बाबासाहेब आंबेडकर पवनी सरकारी सर्किट हाउस पर रुके थे जहा उनकी चर्चा गांव के प्रमुख कार्यकर्ता से हुवी थी जिस में पिठूजी राउत , गणपतराव खापर्डे आदि थे उस समय भी बाबासाहेब आंबेडकर पवनी नगरी को बड़ी भाग्य शाली बताते रहे और इसे नागोकी नगरी , बौद्धों की नगरी , विद्या की नगरी कहते रहे। वे अपने आप को अपने पूर्वजो को नागवंशी कहते थे और उनके लगता था उनके पुरखे इसी पुण्य नगरी पवनी से खास कर सिपाही , सैनिक , राउत रहे होंगे जो समय के साथ इधर उधर गए होंगे।
रामजी , मालोजी के पूर्वज जरूर सिपाही अर्थात राउत रहे होंगे ऐसा उनके परम्परगत सैनिकी पेशेसे जान पड़ता है और वे खास कर पवनी से रहे होंगे !
नेटिविस्ट डी डी राउत

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