पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : कहरा : 2 : 13
कहरा : 2 : 13
दुइ चकरी जनि दरर पसारहु , तब पैहौ ठीक ठौरा हो !
शब्द अर्थ :
दुइ = दो ! चकरी = नौकरी , मालिक ! जनि = जग मे , संसार मे ! दरर = झगडा , विवाद ! पसरहु = पसराना , फैलाना , उत्पन्न करना ! तब = उस समय ! पैहौ = मिलना , प्राप्त होना ! ठीक = स्थिर , एक ! ठौरा = ठिकाना , मालिक , विचार !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर कहरा के इस पद मे सही आचार विचार ,धर्म मार्ग की बात करते है ! दो परस्पर विरोधी विचार को मानने वाला अंतता दुख ही पाता है जैसे दो मालिक का नौकर य़ा दो विपरित बुद्धी के स्त्री का स्वामी पती ! दोनो मे झगडा , विवाद होना स्वाभविक है ! दो मत मे विभाजित व्यक्ती कुछ भी ठिक से कर नही सकता वैसे ही विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मण धर्म के वेद भेद वर्ण जाती अस्पृष्यता विषमता , हत्या चौरी दारू वेश्या गमन देवदासी आदी विकृती और अधर्म को मानने वाले मानुवादी के समर्थक समतावादी शिल सदाचारवादी मुलभारतिय हिन्दूधर्म के धर्म पथ पर एकसाथ नही चल सकते क्यू की दिनो धर्म अलग अलग है फल भी अलग अलग मिलेगा !
मुलभारतिय हिन्दूधर्म का एक मात्र धर्मग्रंथ है समतावादी शिल सदाचार वादी धर्मात्मा कबीर वाणी पवित्र बीजक और कानुन हिन्दू कोड बिल के कायदे तो दुसरी तरफ विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मण धर्म का वर्ण भेदाभेद ऊचनीच वादी वेद और जाती अस्पृष्यता वादी विषमाता वादी शोषण वादी , गुलामीवादी मनुस्मृती !
धर्मात्मा कबीर एक मार्ग सद्धर्म मार्ग मुलभारतिय हिन्दूधर्म पालन करने की बात करते है !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
कल्याण , अखण्ड हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी