#ये_देश !
ये देश ज़िन्दा लाशोंका
ढूंड रहा एक हलचल
मन्द दबी एक कहराहट
अधखुली कोई आँखे !
लाशो की तरह सोये
या सोने का नाटक
उठो जागो सोने वालो
मेरी आवाज है कर्कश !
अभी पहलगाम हुवा
कल हुवा था पुलवामा
तब भी सोये थे तुम
आज निचे गई है दुम !
एसे आते जाते है
जैसे आतंकवादी मेहमान
लाल कालिन पर चले
जैसे हमारे प्रिय प्राण !
माँ बहन का उजडा सुहाग
बच्चे आज अनाथ हुवे
बूढो का सहारा छुटा
उम्मिद का मंजर टूटा !
इसे क्या भाई दोस्तो
क्या यही विकास है
देश बन गया खामोश
क्या यही रामराज्य है ?
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