कहरा : 3 : 2
और देव का सेवहु बौरे , ई सब झूठी आशा हो !
शब्द अर्थ :
और देव = विदेशी वैदिक ब्राह्मण धर्म के देव ब्रह्मा आदी ! सेवहु = सेवा , प्रार्थना ! बौरे = मूर्ख ! ई = ये ! सब = सर्व , सभी ! झूठी =झूठ , व्यर्थ ! आशा = चाहत !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर कहरा के इस पद मे कहते है विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मण धर्म के देवी देवाता जैसे ब्रह्मा , इन्द्र , सोम , रुद्र , इन्द्रानी, ब्रह्मी आदी को मानना और ये समझकर होम हवन करना की ये देवी देवता होम मे दी गई गाय बैल घोडे की बली से और सोम रस आदी के अर्पन तर्पन भोग आदी से सेवा देने से प्रसन्न हो कर साक्षात होम अग्नी से सशरीर प्रगट होकार इच्छित वर देकर तथास्तु कहेंगे तो यह बडी मूर्खता होगी ! कबीर साहेब कहते है भाईयों ये सब झूठ है , ब्राह्मण झूठ है उसका वैदिक ब्राह्मण धर्म झूठ है ,उसके देवी देवता होम हवन सब झूठ है !
ब्राह्मणधर्म अधर्म है विकृती है , वर्णवादी जातीवादी , अस्पृष्यता छुवाछुत विषमातावादी ब्राह्मणधर्म केवल झूठ और झूठा प्रचार पर टीका हुवा है ! अग्यान और मूर्खता से भरा विदेशी वैदिक ब्राह्मण धर्म को हम नही मानते ! हमारा धर्म है मुलभारतिय हिन्दूधर्म जो शिल सदाचार भाईचारा समाता को मानता है जहां कोई वर्ण जाती और झूठे देवी देवाता नही ! हम केवल एक निराकार निर्गुण चेतन तत्व राम को मानते है !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
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