कहरा : 3 : 3
ऊपर ऊजर कहा भौ बौरे , भीतर अजहूँ कारो हो !
शब्द अर्थ :
ऊपर = तन , बाहरी ! ऊजर = सुन्दर , ऊम्दा , अच्छा ! भौ = होना , दिखना ! बौरे = मूर्ख मानव ! भीतर = मन में , मन से ! अजहूँ = अभी भी , अब तक ! कारो = काले , मैले , ठग , बुरा !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर कहरा के इस पद मे उन लोगोंको कटाक्ष करते है जो अधार्मिक , अंधविश्वासी , बुरे और मन के मैले है जो उपर उपर से तो बडे साफ सूतरे , सुन्दर नजर आते है जो चन्दन तिलक लगाते है पीतांबर पहनते है चोटी जनेऊ रखते है खुद को ग्यानी पंडित ब्राह्मण कहते है पर मन के काले है ! वेद और भेद को मानते है मनुस्मृती को मानते है जाती वाद , वर्णवाद छुवाछुत अस्पृष्यता भेदभाव विषमता को मानते है ! मानव गुलामी और शोषण का समर्थन करते है , अधर्म और विकृती के समर्थक है !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
कल्याण ,,अखण्ड हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी
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