Saturday, 3 May 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Kahara : 3 : 4

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : कहरा : 3 : 4

कहरा : 3 : 4

तन के वृद्ध कहा भौ बौरे , मनुवा अजहूँ बारो हो ! 

शब्द अर्थ : 

तन = शरीर ! वृद्ध = बूढा ! बौरे = मूर्ख ! मनुवा = मानव , मनुष्य प्राणी ! अजहूँ = अभी भी ! बारो = बच्चा , नादान ! 

प्रग्या बोध : 

परमात्मा कबीर कहरा के इस पद मे कहते है मानव जन्म दूर्लभ है अनेक योनी मे जन्म लेने के बाद कर्म धर्म संजोग से यह दूर्लभ मानव जन्म और जीवन मिलता है ! कुछ तो जन्म के समय ही मर जाते , कुछ अल्पायू होते है कुछ जो पुरा और लंबा जीवन ज़िते है बूढे होते है वे निच्छित ही भाग्यशाली है पर इस का मतलब ये नही होता है की उम्र से बूढे हुवे तो ग्यानी हुवे कितने ही लोग अब भी बूढे तो होते है पर बच्चे और नादान ही रहाते है और बच्चौ जैसे ही इच्छा तृष्णा मोह माया के पिछे भागते रहते है ! ये नादानी है , बचपना है अगर लंबी उम्र जीने के बाद मोह माया से मुक्त नही हो पाये तो क्या ग्यान प्राप्त हुवा ? 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
कल्याण , अखण्ड हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

No comments:

Post a Comment