Thursday, 8 May 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Kahara : 4 : 1

पवित्र  बीजक  : प्रग्या  बोध  : कहरा  :  4  : 1

कहरा  :  4  :  1

ओढन  मोरा  राम  नाम , मैं  रामहि का  बनजारा   हो  ! 

शब्द  अर्थ  : 

ओढन  = लेना  , स्विकारना ! मोरा  = मेरा  ! राम  = चेतन  तत्व  परमात्मा  राम  ! मै = कबीर  !  रामहि  = राम  का  ! बनजारा  = भटकने  वाला शृष्टी  का   जीव  ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  कहरा  के  इस  पद  मे  निराकार  निर्गुण  अमर  अजर  सदा  सत्य  शिव  सुन्दर  परम तत्व  चेतन  राम  और  उसने  निर्मित  इस  चराचर  शिवशृष्टी  का  आपसी  सबंध  स्पस्ट करते  हुवे  कहते  है  मै  कबीर  वही  चेतन  तत्व  राम  हूँ  ज़िसने  इस  शिवशृष्टी  जीव  बनकार  शृष्टी  के  सदा शिव  सत्य  सुन्दर   नियम  का  पलान कर  ये  जीवन  व्यतीत  करना  है  ! लाखो  योनियोंके  प्रवास  बाद  ज़िसमे  प्रग्या का  आत्म  बोध  कराने  वाला  मानव  जीवन  बडे   सौभाग्य  प्राप्त  होता  ! अगर  उसमे  भी  मानव  अधर्म  विकृती  को  स्विकार  कर  जीवन को  बर्बाद किया  तो जन्म  मृत्यू के  भवचक्र  मे  फिर   एक बंजारे  की  तरह  भटकना  पडेगा  !
  
कबीर   साहेब  कहते  है  मै  वो  बंजारा  हूँ  जो  राम  की  तरफ  जाने  वाला  धर्म  मार्ग  जानता है  वो  मार्ग है  शिल  सदाचार  भाईचारा  समाता का  मार्ग  मुलभारतिय  हिन्दू  धर्म  ! 

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व  परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म विश्वपीठ
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान  , शिवशृष्टी

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