आज 3 टक्का है , आये तब आधा पाव टक्का भी नही होगे , साथ मे कया लाया था ? वेदिक धर्म , एक ब्रहमिन वर्ण , श्रेस्ट ता की भवना , तुम्हे गुलाम बनानेकी और सत्ता हथियाने की चाहत !
उनहोने रिस्ते बनाये , बहु बेटियां यहाँ के नेटीव राजा को दी दुसरा वर्ण बनाया , उनहोने अपनी बहु बेटियां यहाके नेटीव सेठी सहुकार ,श्रीमांत वेपारी को दिया अपने मे सामिल किया और एक वर्ण बनाया नाम दिया बैश्य पर ये नेटीव लोगो के वर्ण क्षत्रीय , बैश्य को कभी विदेशी ब्रहमिनो ने कभी ब्रहमिन के समकक्ष नही माना . विदेशी ब्रहमिन कानुन मे ब्रहमिन को सब से कम सजा और दुसरे वर्ण को अधिक सजा ,कम अधिकार क कानुन बनाया . भले ही तिन वर्ण को स़ वर्ण कहा पर धार्मिक गुरु ब्रहमिन ही बने रहे ये अधिकार दुसरे वर्ण को नही दिया गया .
विदेश से केवल एक वर्ण ब्रहमिन आये नेटीव पिता और ब्रहमिन माता के संकर से जो दुसरे वर्ण बने वे नेटीव लोगो के है पर माता ब्रहमिन होने के कारन डी एन ऐ मे ब्रहमिन प्रतिशत जादा पाया जाता है क्यु की डी एन ऐ क्यारियर माता होती है .
गरीब, मजदूर , किसान , छोटे कारागीर से ये ब्रहमिन दूर रहे , धन , दक्षिना ये नजदिकी दुरिया का कारन बनी इस वर्ग को ब्रहमिनो ने शुद्र माना और भूमि हीन , धन हीन लोगो को अस्परुश्य !
अपनी सत्ता के लिए ज़हा नेटीव राजा , सेठी समुदाय को अपने साथ लिया खुद के वेदिक ब्रहमिन धर्म को कभी ब्रहमिन धर्म कहा , कभी यहाँ के नेटीव हिन्दू धर्म से अपने आप को जोडने के लिए सनातन यानि पूरातन , हिन्दू कहा और आधे टक्के से अपनी ताकत 3 प्रतिशत तक ले जाने के बाद स वर्ण की 15 प्रतिशत ताकत बना ली और खुद को हिन्दू घोषित कर आधे से सव (100 टक्का ) बन कर वो नेटीव 99.50 टक्का लोगो के सर पर बैठ गया ! ये संभव क्यु हुवा ? साथ लेने के कारन !
नेटीव लोग नेटीव लोगो को साथ नही लेना चाहते , आधा पाव टक्का से उनहोने एक वर्ण से स वर्ण बनाया और दुसरे लोगो को भी सामिल कर अ वर्ण , शुद्र अस्परुश्य बनाकार
भी अपनी सत्ता ताकत बनायें रखी .
क्या हम अपनी सत्ता वापस पाने के लिए भी ये नही कह सकते हिन्दू वोही जो ब्रहमिन नही ,!
हिंदू धर्म और ब्रहमिन धर्म अलग अलग है और हिन्दू धर्म को एकमात्र धर्म ग्रंथ है कबीर वानी बीज़क !
विदेशी ब्रहमिन हमारा देश अखंड हिंदुस्तान छोडो !
नेटीविस्त डी डी राऊत
अध्यक्ष
नेटीव रूल मोवेमेंट
नेटीव पीपल्स पार्टी
#नेटीवलोग
उनहोने रिस्ते बनाये , बहु बेटियां यहाँ के नेटीव राजा को दी दुसरा वर्ण बनाया , उनहोने अपनी बहु बेटियां यहाके नेटीव सेठी सहुकार ,श्रीमांत वेपारी को दिया अपने मे सामिल किया और एक वर्ण बनाया नाम दिया बैश्य पर ये नेटीव लोगो के वर्ण क्षत्रीय , बैश्य को कभी विदेशी ब्रहमिनो ने कभी ब्रहमिन के समकक्ष नही माना . विदेशी ब्रहमिन कानुन मे ब्रहमिन को सब से कम सजा और दुसरे वर्ण को अधिक सजा ,कम अधिकार क कानुन बनाया . भले ही तिन वर्ण को स़ वर्ण कहा पर धार्मिक गुरु ब्रहमिन ही बने रहे ये अधिकार दुसरे वर्ण को नही दिया गया .
विदेश से केवल एक वर्ण ब्रहमिन आये नेटीव पिता और ब्रहमिन माता के संकर से जो दुसरे वर्ण बने वे नेटीव लोगो के है पर माता ब्रहमिन होने के कारन डी एन ऐ मे ब्रहमिन प्रतिशत जादा पाया जाता है क्यु की डी एन ऐ क्यारियर माता होती है .
गरीब, मजदूर , किसान , छोटे कारागीर से ये ब्रहमिन दूर रहे , धन , दक्षिना ये नजदिकी दुरिया का कारन बनी इस वर्ग को ब्रहमिनो ने शुद्र माना और भूमि हीन , धन हीन लोगो को अस्परुश्य !
अपनी सत्ता के लिए ज़हा नेटीव राजा , सेठी समुदाय को अपने साथ लिया खुद के वेदिक ब्रहमिन धर्म को कभी ब्रहमिन धर्म कहा , कभी यहाँ के नेटीव हिन्दू धर्म से अपने आप को जोडने के लिए सनातन यानि पूरातन , हिन्दू कहा और आधे टक्के से अपनी ताकत 3 प्रतिशत तक ले जाने के बाद स वर्ण की 15 प्रतिशत ताकत बना ली और खुद को हिन्दू घोषित कर आधे से सव (100 टक्का ) बन कर वो नेटीव 99.50 टक्का लोगो के सर पर बैठ गया ! ये संभव क्यु हुवा ? साथ लेने के कारन !
नेटीव लोग नेटीव लोगो को साथ नही लेना चाहते , आधा पाव टक्का से उनहोने एक वर्ण से स वर्ण बनाया और दुसरे लोगो को भी सामिल कर अ वर्ण , शुद्र अस्परुश्य बनाकार
भी अपनी सत्ता ताकत बनायें रखी .
क्या हम अपनी सत्ता वापस पाने के लिए भी ये नही कह सकते हिन्दू वोही जो ब्रहमिन नही ,!
हिंदू धर्म और ब्रहमिन धर्म अलग अलग है और हिन्दू धर्म को एकमात्र धर्म ग्रंथ है कबीर वानी बीज़क !
विदेशी ब्रहमिन हमारा देश अखंड हिंदुस्तान छोडो !
नेटीविस्त डी डी राऊत
अध्यक्ष
नेटीव रूल मोवेमेंट
नेटीव पीपल्स पार्टी
#नेटीवलोग
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