Saturday, 18 November 2017

विदेशी किरवत ब्राह्मण भी ब्राह्मण ही और हमारे दुश्मन :

विदेशी  ब्राह्मण धर्म में वर्ण और जाती , भेदभाव , ऊंचनीच , अस्पृश्यता है यह बात कहते रहे है।  ब्राह्मण धर्म और हिन्दू धर्म अलग अलग है ये बात भी हम कहते रहे है।  किरवत यानि मरणोत्तर उत्तर क्रिया करने वाले ब्राह्मण को ब्राह्मण धर्म में तुच्छा , अस्पृश्य  माना  जाता है यह हमारे ये कहने  का प्रमाण है की विदेशी ब्राह्मण धर्म वर्ण और जातिवादी है।  हिन्दू धर्म में वर्ण , जाती आदि भेदाभेद नहीं है।  ब्राह्मण धर्म और हिन्दू धर्म अलग अलग है।  ब्राह्मण धर्म के धर्म ग्रन्थ है वेद , मनुस्मृति , हिन्दू धर्म के ग्रन्थ है कबीर का बीजक , आंबेडकर का हिन्दू कोड बिल।

किरवत ये मराठी शब्द है , जो क्रिया करने वाला के लिए प्रयुक्त किया गया है।  ये कोंकणी सब्द है जो विदेशी ब्राह्मण के लिए कहा जाता है जो मृत व्यक्ति का उत्तर क्रिया करता है जैसे अग्नि देना , चिटा रचना, कुछ वैदिक और पौराणिक मन्त्र बोलना ,दस क्रिया , १३ वि करना अड्डी काम उसके होते है , वो मृत के कुछ वास्तु , सोने , चांदी की जो मृत के अर्थी पर राखी जाती है लेते है , ये विदेशी ब्राह्मण है जैसे चतुर्वेदी , त्रिवेदी , द्विवेदी , वेदी , भगवत , गडकरी , महाजन , सावरकर , तिलक ,फडनिस , फडणवीस जैसे ही है।  वे भी ब्राह्मण धर्म के वर्ण और जाती , भेदभाव में पूरा विश्वास करते है , वे भी उनका ब्राह्मण धर्म बनाये रखने के लिए पूरी भूमिका निभाते है , वे नहीं कहते वे ब्राह्मण नहीं या ब्राह्मण धर्म गलत है।

हमने पहले भी कहा है ब्राह्मण में ब्राह्मण , ब्राह्मण क्षत्रिय , ब्राह्मण वैश्य, ब्राह्मण शूद्र , ब्राह्मण अस्पृश्य है ये हमारी बात किरवत ब्राह्मण से सिद्धhoti है।

हिन्दू में जहा झलकारी बाई कोरी थी वही सिपाही लड़वैया भी थी , महारlog भी लड़े है , तुकाराम वाणी भी थे और किसान भी , शिवाजी कुनबी भी थे और किसान , सिपाही भी।  हिन्दू धर्म में ना वर्ण है , ना जाती , पूरी आज़ादी रही है व्यवसाय करने  की।  जाती वर्ण तो ब्राह्मण धर्म की खासियत है।  हम ये कह सकते है भगवत , गडकरी , शूद्र ब्राह्मण है , तिलक , सावरकर ऊंचे ब्राह्मण यानि चतुर्वेदी ब्राह्मण।  महाजन , बनिया ब्राह्मण।

हम ब्रह्मिनो को विदेशी मानते है , वर्णवादी , जातिवादी मानते है , हिन्दू और हिंदुस्तान के दुश्मन मानते है , हमें ये किरवत रहे या तिलक रहे उससे क्या करना, वो तो हर हल में वर्णवादी , जातिवादी ब्राह्मण है।  हमें नहीं चाहिए ऐसे लोग।  हम अपने मृत की विधि खुद करेंगे , कोई भी करेगा , कोई किरवत नहीं कोई अस्पृश्य , नीच , शूद्र नहीं है हिन्दू धर्म में यही है हमारा सत्य हिन्दू धर्म।

नेटिविस्ट डी.डी.राउत ,
प्रचारक ,
सत्य हिन्दू धर्म सभा

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