पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : बसंत : 7 : 6
बसंत : 7 : 6
विवेक विचार न करे कोय , सब खलक तमाशा देखें लोय !
शब्द अर्थ :
विवेक विचार = ग्यान ध्यान , प्रग्या बोध ! न = नही ! करे कोय = कोई नही करता , कौन करे ! सब = सभी ! खलक = खाली , बस , केवल ! तमाशा = नाटक , खेल , मनोरंजन का प्रकार ! देखें लोय = देखाना ,दर्षक बनना !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर बसंत के इस पद में संसार के लोग एक दुसारे के दुख दर्द देखते है पर कोई सिख नही लेते उनके लिये दुसरे की परेशानी दुखद अवस्था एक प्रकार का तमाशा है जो देखा और निकल पडे कोई नही सोचता ऐसी अवस्था उनकी भी होगी ! रोज लोग मरते है और खाली हाथ जाते है पर लोग तब भी माया मोह अहंकार नही छोडते है ,अन्य को दुख देना चौरी झूठ आदी अधर्म नही छोडते क्यू की वो विवेक नही करते क्या बुरा क्या अच्छा क्या धर्म क्या अधर्म का गहराई से विचार नही करते ! दुख का कारण अग्यान ही है और दुख मुक्ती का मार्ग प्रग्या बोध !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ