बसंत : 7 : 2
एक बडो जाके पाँच हाथ , पाँचो के पचीस साथ !
शब्द अर्थ :
एक = चेतन राम तत्व ! बडो = हुवे ! जाके पाँचो हाथ = पाँच तत्व ! पाँच के पचीस = अनेक जीव !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर बसंत के इस पद मे बताते है शृष्टी का निर्माता परमात्मा केवल एक है चेतन तत्व राम उस एक से पाँच तत्व हवा पाणी तेज पृथ्वी आकाश की निर्मिती हुवी और फिर अनेक जीव जन्तु पेड पौंधे ! सारी चराचर शृष्टी केवल एक तत्व परमपिता पर्मेश्वर चेतन राम है हम सब उसी में है और वो सब हम में पर विभिन्न होने के कारण मै पण से ग्रस्त हुवे और जीव जन्तु अहंकार अहंभाव मेरा तेरा करने लगे इस के कारण भी जीव माया मोह तृष्णा इच्छा अहंकार के चलते धर्म छोड अधर्म के कारण भव चक्र मे बार बार जन्म लेता है अकुशल कर्म करता है पाप करता है शिल सदाचार का धर्म छोड कर विकृत अधर्म अपनाता है यही उसके दुख का कारण भी बन जाता है !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
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