ज्ञान चौंतीसा : र
ररा रारि रहा अरुझाई, राम के कहै दुख दारिद्र जाई /
ररा कहै सुनहु रे भाई, सतगुरु पूँछि के सेवहु आई //
शब्द अर्थ :
रारि = झगड़ा ! राम = चेतन तत्व राम !
प्रज्ञा बोध :
धर्मात्मा कबीर ज्ञान चौंतीसा के अक्षर र के माध्यम से उपदेश देते हुवे कहते है भाईयो सुनो मैं एक झगड़ा बताता हूँ जो लोग नही जानते वो है राम क्या है ?
कबीर साहेब कहते राम दशरथ नंदन नाम का मौर्य वंशी सम्राट हुवा है जो सम्राट अशोक का नाती और अंधे कुणाल का बेटा था जिसे सम्राट अशोक अपने बड़े बेटे कुणाल जन्म से अंध होने के कारण अपना उत्तराधिकारी और मौर्य सम्राट बनाना चाहते थे पर वो छोटा था इसलिए सम्राट अशोक ने उसका दूसरा बेटा दशरथ को राजगद्दी दी और संप्रति राम बड़ा होने पर उसे सौंपने की बात कही !
राम छोटा था इसलिए एक बौद्ध भिक्कु विश्वामित्र के पास पढ़ाई के लिये और भारत भ्रमण विहार आदि के दर्शन के लिए भेजा गया , १२ वर्ष बाद जब वो बड़ा हुवा तो दशरथ ने उसे वापस लौट ने के लिये कहा ताकि वो उसे उसका राजपाट सौंप सके ! संप्रति पूरे भारत और सीलोंन के बुद्ध विहार के दर्शन कर और वहां अपने दूसरे चाचा महेंद कौर बुवा संघ मित्रा से भेट और आशीर्वाद लेकर हिंदुस्थान आया तब परशुराम नामक विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म का एक ब्राह्मण जो मूलभारतीय स्त्री रेणुका का बेटा था और वैदिक ब्राह्मणधर्म के मुताबिक संकरित ब्राह्मण भूमिहार था उसने आज के अयोध्या यानी साकेत के पास अपना राज्य बनाने की कोशिश की जिसे संप्रति राम मौर्य ने मार डाला और बाद में पूरे मौर्य साम्राज्य का सम्राट बना , अच्छे विचार और कार्य के कारण लोग उसे भगवान बुद्ध का अवतार मानने लगे लोग उसकी मिसाल दे कर उसको पूजने लगे बुद्ध के साथ साथ उसके भी मंदिर बनाने लगे !
कबीर साहेब इसी राजा राम और चेतन तत्व राम के दार्शनिक झगड़े की बात करते हुवे कहते है भाई मैं चेतन तत्व राम की पूजा अर्थात स्वानुभूति की बात करता हूं और लोग राजा राम की मंदिर में पत्थर की मूर्ति पूजा में अटके पड़े है !:
मूलभारतीय हिन्दूधर्म के लोगोंको कबीर साहेब यही भेद बार बार समझाते है भाई मेरा राम अजर अमर निर्गुण निराकार अविनाशी परमतत्व परमात्मा चेतन राम है जो हम सब में है संसार के कण कण में है उसे जानो, पत्थर की राम की मू छोड़े
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मूलभारती
मूलभारतीय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
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