Saturday, 8 February 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Gyan Chountisaa : Sha

पवित्र बीजक: प्रज्ञा बोध : ज्ञान चौंतीसा : ष

ज्ञान चौंतीसा : ष 

ष ष खरा करे सब कोई, खर खर करे काज नहिं होई /
ष ष कहैं सुनहु रे भाई, राम नाम ले जाहु पराई //

शब्द अर्थ : 

खरा = सत्य ! खर खर = मेरा ही खरा ! पराई = दूसरे की ! राम = अंतर चेतन मन ! 

प्रज्ञा बोध : 

धर्मात्मा कबीर ज्ञान चौंतीसा के इस अक्षर ष के माध्यम से उपदेश देते हुवे कहते है भाईयो सत्य बड़ा अदभुत है ! इस संसार में सत्य ही धर्म है , वही संसार का चक्र सुव्यवस्थित रखता है ! सत्य बोलना उत्तम है पर मेरी ही बात सुनो वही सत्य है कहना भी गलत है ! 

कबीर साहेब कहते हैं हमे अपनी बात शांति और धर्य से कहना चाहिए पर उत्तेजित, घुस्सा कर नहीं कहना चाहिए ! दूसरे की बात शांति से सुनना चाहिए ! सत्य क्या है यह उस चेतन तत्व राम से छुपा नहीं है जो आप के दिल में रहता है अंतर्मन में रहता है , उससे झूठ बोलने का कोई फायदा नहीं ना झूठ को बार बार जोर देकर कहने से बदलेगा न बदला जा सकता है ! 

धर्मात्मा कबीर खुद को सत्य वक्ता बताते है, सत्य ही उनका धर्म था सत्य ही उनका आचरण ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मूलभारती 
मूलभारतीय हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण, अखंडहिंदुस्थान, शिवसृष्टि

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