Friday, 14 February 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Vipramatisi : 1

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : विप्रमतीसी  

विप्रमतीसी : 1

सुनहु सबन मिलि विप्रमतीसी , हरि बिनु बुडी नाव भरीसी : 1

शब्द अर्थ :

विप्र = विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मण ! मतीसी = धर्म , विचार ! हरि = अग्यान हरने वाला सदगुरू !  

प्रग्या बोध : 

चेतन राम तत्व परमात्मा कबीर विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मण धर्म का विचार और आचरण मुलभारतिय हिन्दूधार्मी समाज को समझाते हुवे कहते है भाईयों सुनो इन विदेशी यूरेशियान वैदिक धर्मी लोगोंको सच्चे धर्म का कोई ग्यान नही है ना इनके पास उनका अग्यान हरने वाला कोई सदगुरू है , ये बस हिंसक होम हवन और उसमे गाय बैल घोडे आदी की बली देकार ऊँची आवाज मे व्यर्थ की बडबड और सोम रस की दारू मदिरा पिना और मृत जानवर की अतडी जानेऊ मानकर गले मे पहनना , होम हवन की अग्नी जलाये रखने उसमे जानवर की चार्बी ड़ालते रहना कुछ अन्य वस्तु ये अनाज को भी जालते रखाने के असभ्य रिती रिवाज , विकृत हरकते और शिल रहित आचरण को बडा भारी और उत्कृष्ट धर्म समजते है ! ये बाप बेटी , बहन भाई , माँ बेटा आदी कोई सामाजिक रिस्ते का पालन नही करते शिल सदाचार , अहिंसा आदी उच्च मानविय विचार और धर्म , सत्यधर्म , सदधर्म ,संसार का आद्य धर्म मुलभारतिय हिन्दूधर्म के शिल सदाचार शांती अहिंसा भाईचारा समता वैग्यानिक सोच , विश्व बंधुत्व आदी उत्तम धर्म को ये लोग नही मानते ! ये हिन्दुस्तान , हिन्दूसमाज , मुलभारतिय हिन्दूधर्म के विरोधी है , मानवता के दुष्मन है ! 

धर्मविक्रामादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्यान , अखण्डहिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

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