कहरा : 1 : 10
नहि तो ठाकुर है अति दारूण , करहि चाल कुचाली हो !
शब्द अर्थ :
नहि तो = न समझे तो ! ठाकुर = परमतत्व चेतन राम , कबीर अति = प्रचंड , बहुत ! दारूण = बलशाली ! करहि = कर देना ! चाल = गती , मार्गस्थ ! कुचाली = निचे ऊतारना , गिरा देना !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर कहरा के इस पद मे परमतत्व चेतन राम की महीमा सुनाते हुवे कहते है भाईयों अधर्म पर मत चलो , यह सही रास्ता नही है अंधश्रद्धा और अधर्म की राह विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म और विदेशी तुर्की मुस्लिम धर्म है !
मुलभारतिय हिन्दू धर्म शिल सदाचार भाईचारा , समता ममता अहिंसा शांती मानवता समाजवादी वैग्यानिक दृष्टी का संसार का आद्य आदिवाशी सनातन पुरातन सिंधु हिन्दू संस्कृती के पूर्व से चला आरहा धर्म है ! इस रास्ते पर चलोगे तो मुक्ती मिलेगी अन्यथा अंधविश्वास विषमाता शोषण के अधर्म मे फस कर जीवन बर्बाद कर दोगे तो वो चेतन राम परमात्मा तुम्हे दंड दिये बैगर नही रहेगा !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ