Saturday, 8 March 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Vipramatisi : 25

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : विप्रमतीसी : 25

विप्रमतीसी : 26

व्यापक एक सकल की ज्योती , नाम धरे का कहिये भौती ! 

शब्द अर्थ : 

व्यापक = अनंत शृष्टी ! एक सकल की ज्योती = सब का एक पिता , निर्माता ! नाम = ईश्वर ,अल्ला के मानव ने दिये अनेक नाम ! का = क्यू ! भौती = धरती , पृथ्वी ! 

प्रग्या बोध : 

परमात्मा कबीर इस विप्रमतीसी मे मुलभारतिय हिन्दू धर्म का विचार शृष्टी निर्माता एक है बताते है ! अनंत शृष्टी एक तत्व चेतन राम से बनी है ज़िसका कोई क्षय या नाश मृत्यू नही होती ! चेतन तत्व राम निराकार निर्गुण अमर सर्वव्यापी सार्वभौम सत्य शिव सुन्दर है ! पृथ्वी पर मानव ने अग्यान के कारण उस चेतन राम को कभी अवतारी ईश्वर ,अनेक ईश्वर बना दिया जब की ये गलत धारणा है ! 

चेतन राम जुड़ना , टूटना की प्रवृत्ती से सदा कार्यरत होती है और मानव इच्छा तृष्णा मनो विकार अहंकार आदी के कारण अवांच्छित कार्य के कारण दुख भोगता है ! चेतन तत्व राम केवल एक है वह है शुद्ध प्रग्या या प्रग्या का बोध ! 

कबीर शृष्टी को वास्तविक और सत्य मानते है , चेतन राम को सत्य मानते है ! इसलिये सत्य जानो कहते है प्रग्या बोध होगा तो अग्यान दुर होगा , मोह माया से उत्पन्न दुख दुर होंगे ! 

परमात्मा कबीर चेतन राम की अवस्था मे स्थित है ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्डहिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

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