Saturday, 15 March 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Kahara : 1 : 1

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : कहरा : 1 : 1

कहरा : 1 : 1

सहज ध्यान रहु सहज ध्यान रहु , गुरू के बचन समाई हो !

शब्द अर्थ : 

सहज ध्यान = सरल जीवन मार्ग ! रहु = रहना , जीवन जीना ! गुरू = ग्यान देने वाला व्यक्ती , जीवा मार्गदर्षक ! बचन = अच्छी शिक्षा , धार्मिक विचार ! समाई = सम्मिलित ! हो = होना ! 

प्रग्या बोध : 

परमात्मा कबीर अपनी वाणी पवित्र बीजक के प्रकरण कहरा 1 मे कहते है भाई मेरा जीवन का दृष्टीकोन बहुत ही सरल है ! नैसर्गिक है कोई दिखावा या मिलावट नही ! जो है वही है क्यू की सत्य छूपाने से छूपता नही ! 

कबीर साहेब सहज मार्ग बताते है , बीजक यही सहज मार्ग है , कबीर साहेब सांसारिक जीवन मार्ग को सहज ध्यान अर्थात निषकपट ज़िने का तरिका बताने वाले गुरू को ही उत्तम मानते है और वैदिक गुरू घंटाल , हाथ चालाकी करने वाले गोरख धन्धी और लफडे बाज फंदी आश्रम के धोकेबाज शंकराचार्य आचर्य नागा अघोरी आदी नकली गुरू के भूलभूल्यये से बचाने वाले गुरू को ही योग्य गुरू मनाते है ! 

तात्पर्य वही मार्ग सहज ध्यान का मार्ग है ज़िसमे प्रग्या बोध हो और वही गुरू श्रेष्ठ है जो कबीरवाणी पवित्र बीजक के प्रग्या बोध का ग्यान दे ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्डहिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

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