पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : कहरा : 1 : 3
कहरा : 1 : 3
जस दुख देखि रह्हु यह औसर , अस सुख होइहै पाये हो !
शब्द अर्थ :
जस = जैसे ! दुख = दर्द ! देखि = देखना ! रहहु = अभी ! यह औसर = इस समाय ! अस = एसी ! सुख = आनन्द ! होइहै = होता है ! पाये हो = मिलता है !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर कहरा के इस पद मे सुख दुख की चर्चा करते हुवे बताते है भाईयों सुख दुख जीवन की वास्तविकता है इस नकारना बेकार है पर सुख दुख के कारण धर्म और अधर्म है ! हर कोई सुख चाहता है दुख कोई नही चाहता पर काम करते समाय हम सावधान नही रहते , प्रग्या बोध को भूल जाते है , समय की नजाकत जरूरत नही समझते है और उल्टे सिधे काम करते है तो गलत नतीजे आते है यही दुख का कारण है !
कबिर साहेब तटस्थ रहकर सुख दुख के कारण को देखने की बात करते है , धर्म से चलोगे तो सुख मिलेगा , अधर्म से चलोगे तो दुख आयेगा ! हर समय सावधान रहो ! धर्म का पालन करो यही सिख इस कहरा मे कबीर साहेब देते है !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
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