विप्रमतीसी : 30
कहिये काहि कहा नहिं माना , दास कबीर सोई पै जाना !
शब्द अर्थ :
कहिये = बतावो , समझावो ! काहि = क्यू ! कहा = बताया विचार , मुलभारतिय हिन्दूधर्म ! नहिं = ना ! माना = पालन करना ! दास = विनम्र नम्र , विनित ! कबीर = परमात्मा चेतन राम स्वरूप कबीर ! सोई = मुलभारतिय हिन्दूधर्म ! पै = वही ! जाना = समझो !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर विप्रमतीसी यानी विदेशी यूरेशियन वैदिकधर्मी ब्राह्मण की विपरित बुद्धी समज , धर्म विचार उनकी मान्यता पर 30 दोहे मे वर्णन करते हुवे अंतिम दोहे मे बताते है की विदेशी युरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म अलग है और मुलभारतिय हिन्दूधर्म अलग अलग है !
कबीर साहेब कहते है वो बारम बार बताते है की विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म का ग्रंथ है वेद ज़िसमे है भेदाभेद , वर्णवाद और उनका कानुन है मनुस्मृती ज़िसमे है छुवाछुत अस्पृष्यता विषमाता जातीवर्ण ऊचनीच अन्याय ज़िसे संक्षिप्त मे अधर्म और विकृती ही कहा जा सकता है ! दुसरी तरफ कबीर साहेब मुलभारतिय हिन्दूधर्म बताते है ज़िसमे है समता , भाईचारा ,शिल सदाचार , विश्वबंधुत्व , न्याय का मुलभारतिय हिन्दूधर्म जो सिंधु हिन्दू काल पूर्व से भारत मे आदिवाशी मुलभारतिय नेटीव हिन्दू समाज सनातन पुरातन काल से चला आ रहा सत्य धर्म है ज़िसे कबीर साहेब ने आपनी वाणी पवित्र बीजक मे बताया और बाबासाहेब आम्बेडकर ने हिन्दू कोड बिल मे कानुन स्वरूप मुलभारतिय हिन्दूधर्म को दिया है !
कबीर साहेब विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म यह धर्म नही अधर्म विकृती है बताते है उसका त्याग कर आपना आद्य सनातन पुरातन आदिवाशी मुलभारतिय हिन्दूधर्म का पालन करो यही बात अंतिमता यहाँ बताते है !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
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