विप्रमतीसी : 29
हिन्दू तुरक कि बूढो बारा , नारि पुरूष का करहु विचारा !
शब्द अर्थ :
हिन्दू = मुलभारतिय गैरब्राह्मण हिन्दूधर्मी , गैर वैदिक ब्राह्मणधर्मी , नेटीव , आदिवाशी , मुलभारतिय ! तुरक = तुर्की धर्म यानी मुस्लिम धर्मी या हिन्दू से धर्मांतरित मुस्लिम ! कि = उनकी ! बूढो = नुक्सान ! बारा = बहुत ! नारि पुरूष = मुलभारतिय समाज ! का = क्यू ! करहु = करना ! विचारा = समझना !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर इस विप्रमतीसी मे मुलभारतिय , आदिवाशी , नेटीव लोग स्त्री पुरूष , गैरब्राह्मण समाज जो आद्य हिन्दूधर्मी है या धार्मांतरित मुस्लिमधर्मी हुवा है पर मुलता नेटीव है हिन्दू है जो विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म द्वारा शोषित है वर्णजात ऊचनीच छुवाछुत अस्पृष्यता का पिडीत है उन सब को चाहे वो हिन्दू हो या धर्मांतरित मुस्लिम है उन सबको एक होकर विचार करने की बात कबीर साहेब करते है ताकी इस देश से विषमता , शोषण करने वाले विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्मी भगाकर इस देश को नेटीव हिन्दू समाज को विदेशी वैदिक ब्राह्मणधर्मकी गुलामी से मुक्त कर सके !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
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