कहरा : 1 : 9
जो यह भाँति करहु मतबलिया , ता मत को चित बाँधहु हो !
शब्द अर्थ :
भाँति = चुक , गलती ! करहु = करना ! मतबलिया = मत , विचार , धर्म मान्यता ! ता = उस ! चित = मन ! बाँधहु = सही करना !
प्रग्या बोध :
परमात्मा इस कहरा के पद मे विभिन्न धर्म विचार मान्यता मे फैली गलत धारणाये , अंध विश्वास आदी पर कटाक्ष करते हुवे कहते है हम अंधविश्वास मे फसने वाले धर्म को नही मानते जैसे विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मण धर्म और विदेशी तुर्की मुस्लिम धर्म मे बहुतसारे अंध विश्वास , भ्रम , भाँतिया है !
कबीर साहेब कहते है हमारा मुलभारतिय हिन्दूधर्म गलत धारणा को नही मानता ! चित्त शुद्धी , सात्विक विचार शिल सदाचार का मार्ग हम बताते है !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
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