Sunday, 29 June 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Kahara : 10 : 9

पवित्र  बीजक  : प्रग्या  बोध  : कहरा  : 10 : 9

कहरा  : 10 : 9

जोलहा  तान  बान  नहिं  जाने , फाटि  बिने  दश  ठाँई  हो  ! 

शब्द  अर्थ  : 

जोलहा  : कबीर  साहेब , परमात्मा  कबीर  ! तान बान  = शान  , अहंकार  ! फाटि  = छोटा  पन  ! बिने  = बनाये !  दश  ठाँई  = सर्वत्र , सभी   काम !

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  अर्थात  चेतन  राम  कबीर  स्वयं  कहते  है  मै  वो  चेतन  राम  हूँ  जो  निराकार  निर्गुण  है  अहंकार  शान  बडडपन , बडबोले  पन  से  दुर  है   और  मै  जुलाह  हूँ  कपडे  शाल  धोती  बुनता  हूँ ये  मेरा  व्यवसाय   है  और  मै   उसे   लगन से  मन लगा कर  काम  करता   हूँ  , न  इसमे  छोटा  पन  है  बडापन   ! मै  किसी  बात  का अहंकार  नही  करता न  ड़ींग  हाँकता  हूँ  ! मै  सभी  काम  निराकार  निर्गुण  भाव  से  ही  करता   हूँ  !  कुछ  लेना  न  देना  आपने  काम  मे  मगन  रहना  दुसरे  के  फटे  में  टांग  न  ड़ालना  ही   अच्छा  है  ! 

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व  परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

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