पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : कहरा : 10 : 9
कहरा : 10 : 9
जोलहा तान बान नहिं जाने , फाटि बिने दश ठाँई हो !
शब्द अर्थ :
जोलहा : कबीर साहेब , परमात्मा कबीर ! तान बान = शान , अहंकार ! फाटि = छोटा पन ! बिने = बनाये ! दश ठाँई = सर्वत्र , सभी काम !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर अर्थात चेतन राम कबीर स्वयं कहते है मै वो चेतन राम हूँ जो निराकार निर्गुण है अहंकार शान बडडपन , बडबोले पन से दुर है और मै जुलाह हूँ कपडे शाल धोती बुनता हूँ ये मेरा व्यवसाय है और मै उसे लगन से मन लगा कर काम करता हूँ , न इसमे छोटा पन है बडापन ! मै किसी बात का अहंकार नही करता न ड़ींग हाँकता हूँ ! मै सभी काम निराकार निर्गुण भाव से ही करता हूँ ! कुछ लेना न देना आपने काम मे मगन रहना दुसरे के फटे में टांग न ड़ालना ही अच्छा है !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
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