Monday, 9 June 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Kahara : 8 : 5

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : कहरा : 8 : 5

कहरा : 8 : 5

पानी पवन अकाश जायेंगे, चन्द्र जायेंगे सूरा हो ! 

शब्द अर्थ : 

पानी = पाणी ! पवन = हवा ! अकाश = आकाश ! जायेंगे = नही रहेंगे ! चन्द्र = चांद ! सूरा = सूर्य ! 

प्रग्या बोध : 

परमात्मा कबीर कहरा के इस पद मे कहाते है हे मानव तू समझ ले ये संसार और वस्तु ये हवा पानी रिक्तता आकाश चन्द्र सूर्य तारे सभी उस चेतन राम द्वारा निर्मित है और वो जब तक चाहता तब तक ही है , वो जब चाहे इन्हे मिटादे और जब चाहे नया अन्य बना दे सब उसकी मर्जी से चलता है ! वही एकमात्र कर्ता धरता और मालिक है !  

वह निराकार निर्गुण अविनाशी अमर अजर तत्व चेतान राम केवल सत्य शिव सुन्दर और स्थाई है और उसकी सभी निर्मिती परिवर्तनशिल है ! 

राम की सभी निर्मिती एक लहर और तरंग की तरह है अस्थाई है ! स्थाई है तो वो है चेतन राम वो प्रग्या बोध है परमात्मा कबीर ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम  
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

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