Wednesday, 18 June 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Kahara : 9 : 6

पवित्र  बीजक  : प्रग्या बोध  : कहरा  : 9 : 6

कहरा  : 9 : 6

चौसठ  गीध  मुये  तन  लूटै , ज़म्बुकन वोद्र  बिदारा  हो  ! 

शब्द  अर्थ  : 

चौसठ गीध  = गिद्ध  का  झूंड  , अनेक  गिद्ध  ! मुये  तन  = मृत  शरीर  ! लूटै  = खाने  टूट  पडना  !  ज़म्बुकन  = ज़म्बुक   आदी  हिस्त्र  प्राणी  ! वोद्र  = उदर  , पेट  ! बिदारा  = फाडना  ,छिन्न  विछिन्न  करना  ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  इस  कहरा  के  पद  मे  मृत  शरीर  का क्या  हाल  होता  है  यह  समजाते हुवे  कहते है  अगर  मानव  शरीर  लावारिस  मिल  जाये  तो  गली के  लावारिस  कुत्ते  ,और  दुसरे   जानवर  उस  पर  टूट  पडते  है  पेट  फड देते  है  उसे  छिन्न  विछिन्न  कर  देते  है  ! गिद्ध के  झूंड  उसे  सफाचट  कर  जाते  है  जैसे  पारसी  ऊंके  मृत  शरीर  को  गिद्धो  को  खाने  के  लिये  मौत  के  कुए  मे  छोड  देते  है ! 

कबीर साहेब  इस  तन  की  यही  गती  है  पर  अच्छे  और  बुरे  कर्म  का  फल  मिलता  है  इस  लिये  शरीर  मृत  होने  के  पहले  शिल  सदाचार  भाईचारा समाता  और  ममता का  मुलभारतिय  हिन्दू  धर्म  का  आचरण  कर  ये  जीवन  सुधारो  और  अच्छे  कर्म  का  अच्छा  फल  पावो  ! 

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व  परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान  , शिवशृष्टी

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