Tuesday, 3 June 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Kahara : 7 : 6

पवित्र  बीजक  : प्रग्या  बोध  : कहरा  : 7 : 6

कहरा  : 7 : 6

माँझ  मंझरिया  बसै  सो  जाने , जन  होईहै  सो  थीरा  हो  ! 

शब्द  अर्थ  : 

माँझ  मंझरिया  = मांस  मछलि  ! बसै  = खाने  वाले ! जन = लोग  !  होईहै  = होते है  ! थीरा  = चिल्लर प्रवृत्ती  के  लोग  ! 

प्रग्या बोध  : 

परमात्मा  कबीर  कहरा के  इस  पद  मे  कहते  है  मांस  मछली  खाने  वाले  लोगोंका  ध्यान  वही  रहता है  वे साधु  संगत  मे  बैठते  नही  न  धर्म  अहिंसा  की  बात  सुनते  है  ! मांस  मछली  खाना , होम  हवन  मे  गाय  बैल   घोडे  की  बली  देना  सोमरस  दारू  पिना  आदी  अधर्म  ही  उन्हे  ठिक  लगता है ऐसे  लोग  समाज  मे  गंभीरतासे  नही  लिये  जाते  ! उन्हे  थिल्लर  और  चिल्लर  प्रवृत्ती  के  माना  जाता  है  ! 

विदेशी युरेशियन  वैदिक  ब्राह्मणधर्म  के  पांडे  पूजारी  पंडित  ब्राह्मण  जो  दारू सोमरस , गाय  की  बली , झूठे और  कलंकित देवी  देवता   आदी  का  बखान करते  है  तो  लोग  उनका  मजाक उडाते है  क्यू  की  सामान्य  लोग  भी  जानते  है  ब्राह्मण  धर्म  कोई  धर्म  नही  विकृती  और  अधर्म  है  ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व  परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ 
कल्याण  , अखण्ड  हिन्दुस्तान ,  शिवशृष्टी

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