Friday, 13 June 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Kahara : 9 : 1

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : कहरा : 9 : 1

कहरा : 9 : 1

एसनि देह निरालप बौरे , मुवल छुवे नहिं कोई हो ! 

शब्द अर्थ : 

एसनि = इस प्रकार ! देह = शरीर , जीवन ! निरालप = निर्दोष ! बौरे = मूर्ख ! मुवल = बुरे विचार , मुसावाद , झूठ ! छुवे = स्पर्श ! नहिं = न करे ! कोई = किसी भी प्रकार के ! 

प्रग्या बोध : 

परमात्मा कबीर कहरा नऊ के इस प्रथम पद मे लोगोंको शिल सदाचार का उत्तम धर्म अपनाकर अपना जीवन और ये देह मन शरीर ऊजला करने के लिये कहते है ! लालच , झूठ मोह माया जैसे सभी विकार जो शरीर और जीवन के लिये हानिकारक है उस से बचो ! विकृत विचार और अधर्म से दुर रहो ! विदेशी यूरेशियन ब्राह्मण धर्मी पांडे पूजारी आप को अंध विश्वास मे फसाकर वैदिक अधर्म से आपका जीवन नर्क कर रहे है ! 

मुलभारतिय हिन्दू धर्म का शिल सदाचार का मार्ग आप को गलत रास्ते पर जाने से रोकता है और ब्राह्मण कुकर्म झूठ से बचाता है ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

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