कहरा : 9 : 1
एसनि देह निरालप बौरे , मुवल छुवे नहिं कोई हो !
शब्द अर्थ :
एसनि = इस प्रकार ! देह = शरीर , जीवन ! निरालप = निर्दोष ! बौरे = मूर्ख ! मुवल = बुरे विचार , मुसावाद , झूठ ! छुवे = स्पर्श ! नहिं = न करे ! कोई = किसी भी प्रकार के !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर कहरा नऊ के इस प्रथम पद मे लोगोंको शिल सदाचार का उत्तम धर्म अपनाकर अपना जीवन और ये देह मन शरीर ऊजला करने के लिये कहते है ! लालच , झूठ मोह माया जैसे सभी विकार जो शरीर और जीवन के लिये हानिकारक है उस से बचो ! विकृत विचार और अधर्म से दुर रहो ! विदेशी यूरेशियन ब्राह्मण धर्मी पांडे पूजारी आप को अंध विश्वास मे फसाकर वैदिक अधर्म से आपका जीवन नर्क कर रहे है !
मुलभारतिय हिन्दू धर्म का शिल सदाचार का मार्ग आप को गलत रास्ते पर जाने से रोकता है और ब्राह्मण कुकर्म झूठ से बचाता है !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
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