पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : कहरा : 8 : 7
कहरा : 8 : 7
कुशल कहत कहत जग बिनसे , कुशल काल की फाँसी हो !
शब्द अर्थ :
कुशल = अच्छा , मंगल , कल्याणकारी ! कहत = बोलते है ! जग = लोग ! बिनसे = नाराज होते है ! कुशल = आप का आनन्द ! काल की फाँसी = संकट पैदा करने का कारण !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर कहरा के इस पद मे सावधान करते हुवे बताते है जो लोग अच्छे है सुखी है लोगोमे मान सन्मान है ये सुख भी लोगोंको देखा नही जाता आप का आनन्दी होना लोगोंको दुखी करता है क्यू की लोग मोह माया मद मत्सर से ग्रस्त है आपका आनन्द उनहे देखा नही जाता और फिर ये लोग आपके पिछे पड जाते है आपके पीठ पिछे आपकी निन्दा करते है आपके बारेमे झूठ फैलाते है ! आपकी कुशलता भी एसे आपके विरोध मे काम करती है और आपके लिये फाँसी बान जाती है !
ये सब अजीब लगाता हो पर सच है लोग आपके उन्नती , बडे पद , धन संपत्ती स्वास्थ कुशल मंगल से जलते है क्यू की अधिकतर लोग अधर्मिक लालची दुसारे का बुरा चाहने वाले होते है इस लिये आपको सावधान होना चाहिये आपके आनन्द का भी इजहार ना करो ! अपने आप मे संतुस्ट रहो , कुछ लेना न देना मगन रहना अच्छा है !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
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