पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : कहरा : 8 : 2
कहरा : 8 : 2
आवत जात दोऊ विधी लूटे , सर्वतंग हरि लीन्हा हो !
शब्द अर्थ :
आवत जात = जन्म मृत्यू के समय ! दोऊ विधी = दोनो समय ! लूटे = कुछ न रहना , शुन्य ! सर्वतंग = सब ग्यान ! हरि = निराकार निर्गुण चेतान रम ! लीन्हा = मालिक !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर कहरा के इस पद मे कहते ह्य जन्म और मृत्यू दोनो विधी के समय हम शुन्य हो जाते है पूर्व का सब कुछ हम भूल जाते जब की सभी संचित वो एकमात्र परमात्मा निराकार निर्गुण चेतन तत्व राम ही जानते है वही हरि है ज़िसने सब हरण कर हमे निर्वस्त्र कर दिया है नंगा कर दिया है सब लूटा है ! हम सब जन्म के समय खाली हाथ आते है और मृत्यू के समय खाली हाथ जाते है इस लिये पाप और पाप की कमाई से बचो , अधर्म से दुर रहो , किसी बात का घमण्ड अहंकार मत करो ! तुम न कभी मालिक थे न रहोगे सब का मालिक एक परमात्मा चेतन राम है यह याद रखो ! वही देता है वही लेता है !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
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