पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : कहरा : 9 : 5
कहरा : 9 : 5
चन्दन चीर चतुर सब लेपै , गरे गजमुक्ता के हारा हो !
शब्द अर्थ :
चन्दन = सुगंधित चन्दन वृक्ष लेप ! चीर = पहने कपडे , ओढना ! चतुर = खुद को ग्यानी पंडित ब्राह्मण कहने वाले दंभी लोग ! सब लेपै = तिलक आदी लगाना ! गरे = गले मे ! गजमुक्ता = हाथी दंत ! हारा = माला , हार !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर कहरा के इस पद मे कहते है कुछ लोग खुद को बडे ग्यानी ,चतुर , होशियार पंडित और ब्राह्मण कहते है और अपनेको बाहरी आभूषण वेशभूषा जैसे चन्दन का शरीर को लेप , चन्दन का तिलक , भगवे कपडे धोती अंग वस्त्र और गले मे विविध प्रकार की मालाये जैसे महनगी हस्ती दंत की माला आदी से खुद को सजाते है ताकी भ्रम पैदा कर सके की वो बहुत पवित्र साफ सूतरे बिना गंदगी वाले लोग है और इस कारण ग्यानी पंडित ब्राह्मण है !
कबीर साहेब कहते है इन ढ़ोंगी के दिखावे पर मत जावो , ये कागज के फुल है असली नही ! इनमे इनके वैदिक ब्राह्मण धर्म मे कोई ग्यान नही ना मानव हित का धर्म है ! ये सब ढ़ोंगी बगुले है , इनके मुह मे राम नाम होता है पर बगल मे छुरी ! कबीर साहेब बाहरी दिखावे पर मत भूलो यह सिख यहाँ देते है !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
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