Monday, 16 June 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Kahara : 9 : 4

पवित्र  बीजक  : प्रग्या  बोध  : कहरा  : 9 : 4

कहरा  : 9 : 4

जो  कोई  आवै  बेगि  चलावै , पल  एक  रहन न  पाई  हो  ! 

शब्द  अर्थ  : 

जो कोई  = हर  एक  इंसान , व्यक्ती  , मानव  ! आवै  = जन्म  लेता  है  , पैदा  होता  है  ! बेगि  = घाई , गडबड  , जल्दी ! चलावै  = कराना  , शोर  मचाना ! पल  एक  = एक  क्षण  ! रहन न  पाई  = टिकता  नही  ! मारता  नही ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  कहरा  के  इस  पद  मे  आदमी  बडा  लालची  मोह  माया  भरा  है  हर  काम  जल्दी  जल्दी  करना  चाहता  है  , बच्चे  से  जवान  जल्दी  होना  चाहता  है  जल्दी  जल्दी  बहुत  सारा  पैसा  धन  सम्पत्ती  जल्दी  जल्दी  एकट्ठा  करना  चाहता  है , बडे  पद  खूर्ची  पर  जल्दी  जल्दी  आना  चाहता है  , बस  जल्दी  ही  जल्दी  है  , जल्दी  लावो  , जल्दी  देवो  !   मानव  इस  जल्दबाजी  की  होड  मे  धर्म  शिल  सदाचार  भूल  जाता  है  , हा  कुछ  धन सम्पत्ती  , पद  प्रतिष्ठा  तो  हासिल  कर  लेता  है  पर  जीवन   का  आनन्द , युवा  का  आनन्द  भूल  जाता  है  इस  भाग दौड  , जल्दबाजी  मे  बूढा  बीमार  और  थकता    भी  जल्दी  ही  है  और  जब  मृत्यू  पास  आता  है  तब  उसे  लगता है  नाहक   ही  उसने  जल्दबाजी  मे  अद्भूत  मानव  जीवन   बेकार  की  चिजो  को  हासिल  करने  मे  खो  दी  और  जल्दबाजी  मे  न  जाने  कितने  पाप  किये  ! 

कबीर  साहेब  कहते  है  जल्दबाजी  वही  करो  जो  जीवन  मार्ग तुम्हे  मुक्ती  की  तरफ  ले  चले  ! 

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व  परमहंस 
दौलतराम  
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ
कल्याण  , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

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