पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : कहरा : 9 : 7
कहरा : 9 : 7
कहहिं कबीर सुनो हो सन्तो , ग्यान हीन मति हीना हो !
शब्द अर्थ :
कहहिं = कहता है ! कबीर = स्वयं परमात्मा कबीर ! सुनो हो सन्तो = सुनो गुणीजन ! ग्यान हीन = बुद्धी , माति हीन !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर इस कहरा मे ग्यान को सर्व श्रेष्ठ बताते हुवे कहते है वस्तु स्थिती , इस संसार , धर्म अधर्म का ग्यान होना जरूरी है ! कबीर साहेब कहते है अंध विश्वासी ना बनो , पांच इन्दिय और छटी बुद्धी से उसे परखो केवल कुछ लोग कहते परम्परा है इस लिये मत मानो देखो क्या वो वास्तविक सुखदाई है ?
मोह माया लालाच अहंकार को प्रग्या को दूषित ना करने दो , सच्चा ग्यान कसौटी पर परखो जैसे सोना हीरा आदी परखे जाते है ! और इन्हे परखनेके की कसौटीय़ा है शिल सदाचार समता ममता भाईचारा अहिंसा शांती बंधुत्व !
मुलभारतिय हिन्दूधर्म की इन कसौटीया लगाकर
ही ग्यान अग्यान , धर्म अधर्म, सुख दुख, भला बुरा की पहचान होगी ! यही सच्चा ग्यान है !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
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