#शब्द : १०१
देखि देखि जिय अचरज होई, यह पद बुझई बिरला कोई : १
धरती उलटि आकाशै जाय, चिऊंटी के मुख हस्ति समाय : २
बिना पवन सो पर्वत उड़े, जीव जन्तु सब वृक्षा चढ़े : ३
सूखे सरवर उठे हिलोरा, बिनु जल चकवा करत किलोरा : ४
बैठा पण्डित पढ़े पुरान, बिनु देखे का करत बखान : ५
कहहिं कबीर यह पद को जान, सोई सन्त सदा परमान : ६
#शब्द_अर्थ :
जिय = जीव , मन ! यह पद = यह दोहा ! हिलोरा = तरंग ! चकवा = पक्षी बखान = गुणगान ! परमान = प्रमाण , तथ्य , सत्य !
#प्रज्ञा_बोध :
धर्मात्मा कबीर कहते है भाईयो संतो मेरी बात का तात्पर्य समझो मैं कहता हूं विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के पांडे पुजारी ब्राह्मण वैर विदेश तुर्की मुस्लिमधर्म के मुल्ला मौलवी दोनो ने धर्म के नाम से कितने भी झूठ फैला रखे है उनके कहानी , कथन में बहुत अतिशयोक्ति होती है और बिना जाने समझे लोग उन बातों को सत्य सही मान बैठे है !
ब्राह्मणों इतने झूठ फैलाये की उसकी कोई कल्पना तक नहीं कर सकता ! इन झूठ में बड़े बड़े झूठ है जन्म कुंडली, गोत्र , वर्ग, वर्ण , जाति , स्वर्ग नरक , भूत प्रेत, ब्रह्म राक्षस , कुंडली योग ! और न जाने हवाई महल ब्राह्मणोन आम लोगोंको भ्रमित करने के लिये बनाए है जिस में होम हवन की अग्नि से ब्रह्मा , इन्द्र, आदी देवता साक्षात प्रगट होना , इच्छित वर देना आदि कोरी बाते है इसमें कोई तथ्य नहीं सत्यता नहीं ! उनका कोई ब्राह्मण समुद्र पी जाता है तो कोई सूखा देता है ऐसी बकवास उनके धर्म ग्रंथ कथा कहानियां में भरी पड़ी है जिसे वे धर्म ज्ञान कहते है !
कबीर साहेब कहते है भाईयो झूठ पर झूठ ब्राह्मण अपने फायदे और आपको शोषण के लिये फैलाते है ! इन पाखंडी लोगों को छोड़ दो, उनका विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म अलग है अपना मूलभारतीय हिन्दूधर्म अलग है ! अपना धर्म का पालन करो !
#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस
#दौलतराम
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ
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