Wednesday, 11 December 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Shabd : 89 : Subhaage Kehi Kaaran Lobh Laage !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #शब्द : ८९ : सुभागे केहि कारण लोभ लागे ! 

#शब्द : ८९

सुभागे केहि कारण लोभ लागे, रतन जन्म खोयो : १
पूर्वल जन्म भूमि कारण, बीज काहेक बोया : २
बुंद से जिन्ह पिण्ड संजोयो, अग्नि कुण्ड रहाया : ३
जब दश मास माता गर्भे, बहुरी लागल माया : ४
बारहु ते पुनि वृद्ध हुआ, होनहार सो हुआ : ५
जब यम अईहैं बाँधी चलै हैं, नैनन भरि भरि रोया : ६
जीवन की जनि आशा राखो, काल धरे है श्वासा : ७
बाजी है संसार कबीरा, चित चेति डारों पासा : ८ 

#शब्द_अर्थ :

पूर्वल जन्म = पहले के जन्म ! भूमि = आधार ! कारण = बीज , वासना ! बीज = मूल कारण ! बुंद = वीर्य ! पिण्ड = स्थूल शरीर ! संजोया = सजाया ! अग्नि कुण्ड = माता का उदर ! यम = मृत्यु ! बाजी = खेल ! पासा = चौसर खेल का पासा ! 

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते हैं भाईयो सुनो मानव जीवन की कहानी ! मानव बार बार जन्म लेता है और मृत्यु को प्राप्त होता है पर वह मानव जन्म का उद्देश ही भूल जाता है और पूर्व जन्म के माया लोभ के विकार के कारण बार बार मां के गर्भ में आता है तब तक वो माया मोह इच्छा तृष्णा के बंधन से बंधा नहीं होता है पर जैसे ही बाहर आता है पूर्व जन्म का संचित और इस जन्म का शरीर का लोभ माया तृष्णा आदि के कारण फिर गलत काम , अधर्म में लग जाता है वही बाते उसे ठीक लगती है जो उसका अहमभाव को भाती है पांच इंद्रिय को ठीक लगती है भले ही वो ज्ञान बोध , परख के आधार पर धर्म बाह्य हो अधर्म हो , चित्त को विचलित करने वाली हो ! नतीजा ये होता है मानव जन्म लेता है गलत करता है मृत्यु समीप आते ही गलती पर रोने लगता है पर देर हो चुकी होती है , चाह कर भी गलती अधर्म सुधार नहीं सकता और मर जाता है , फिर जन्म फिर गलती फिर मृत्यु ऐसा ये भव चक्र में फस कर रह जाता है ! 

कबीर साहेब कहते है भाईयो ये जीवन खेल को सोच समझ कर खेलो, तुम्हे ही खेलना है कोई मार्गदर्शक है तो वो है मूलभारतीय हिन्दूधर्म का प्रज्ञा बोध ! कबीर वाणी पवित्र बीजक ! कबीर साहेब की धर्म शिक्षा ही आपको जन्म मृत्यु के फेरे से मुक्ति कर निर्वाण पद , चेतन राम के दर्शन करा सकती है ! 

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दधर्म_विश्वपीठ 
#कल्याण, #अखण्डहिंदुस्थान, #शिवसृष्टि

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