#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #शब्द : १०४ : कैसे तरो नाथ कैसे तरो !
#शब्द : १०४
कैसे तरो नाथ कैसे तरो, अब बहु कुटिल भरो : १
कैसी तेरी सेवा पूजा कैसे तेरो ध्यान, ऊपर उजल देखो बगु अनुमान : २
भाव तो भुजंग देखो अति बिबिचारी, सुरति सचान तेरी मति तो मंजरी : ३
अति रे विरोधी देखो अति रे सयाना, छौं दर्शन देखो भेष लपटाना : ४
कहहिं कबीर सुनो नर बन्दा, डाइनि डिम्भ सकल जग खंदा : ५
#शब्द_अर्थ :
तरो = उद्धार होना ! नाथ = स्वामी ! कुटिल = बुरे , छल कपट ! बगु = बगुला पक्षी ! भुजंग = सांप , नाग ! बिबिचारी = अविचारि , कुकर्मी ! सुरति = सूरत , चेहरा ! सचान = बाज पक्षी , सचित , तेज नजर ! मति = बुद्धि ! मंजरी = बिल्ली ! सयाना = होशियार ! छौ दर्शन = योगी जंगम सेवड़ा संन्यासी दरवेश ब्राह्मण ! बन्दा = सेवक , दास, भक्त ! डाइनि = डायन, कुलटा स्त्री , माया! डिम्भ = दंभ , पाखंड ! खंदा = खा लिया , अस्तित्व मिटा दिया !
#प्रज्ञा_बोध :
धर्मात्मा कबीर कहते हैं भाईयो सुनो इस संसार में कुटिल लोग बहुत भरे पड़े है ! विविध मार्ग , धर्म विचार , पंथ के दुकान लोगोने खोल रखे है ! मूलभारतीय हिन्दूधर्मी लोगोंको को भटकाने के लिए जो छह दर्शन लोगों ने निर्माण किया है जिसे योगी जंगम सेवड़ा संन्यासी दरवेश ब्राह्मण के नाम से जाना जाता है सब मूलभारतीय हिन्दूधर्मी लोगोंको को गुमराह करने के मार्ग धर्म विचार पंथ है !
सेवा, पूजा , ध्यान सब अनुमान और मनगढ़ंत है ! ये लोगोंके चेहरे बाहर कुछ और अंदर कुछ है , खाने के दात अलग और दिखने के दात अलग है ! ये ढोंगी बगुले जैसे तन से सफेद पर मन के काले है , जैसे बिल्ली चेहरे से भोली भाली नजर आती है पर चूहा देखकर तुरंत छपट मारती है वैसे ही ये सभी छ दर्शन बताने वाले लोग है !
सभी छह दर्शन के आचार विचार में बहुत बड़ा विरोधा भास है ! दर्शन के नाम पर लुट है , सब माल हजम कर भोले भाले लोगों को बर्बाद , कंगाल करने की साजिश है ! छ दर्शन में काई विचार मानव जीवन सुखी करने वाला , दुख दर्द दूर करने वाला नहीं !
भाइयों अपना स्वदेशी विचार मूलभारतीय विचार , दर्शन मूलभारतीय हिन्दूधर्म जो सिंधु हिन्दू संस्कृति के पूर्व से चला आया है वह मूलभारतीय हिन्दूधर्म जिसका दर्शन सनातन पुरातन समतावादी मानवतावादी समाजवादी वैज्ञानिक दृष्टि रखने वाला है वही हम आपको पालन करना चाहिए ! यहां कोई छल कपट नहीं, झूठ नहीं ! ईश्वर की भक्ति, पूजा अर्चना प्रार्थना ध्यान आदि के नाम पर बर्बादी नहीं न जाती वर्ण है न उचनिच भेदाभेद अस्पृश्यता विषमता छुवाछूत है ! न होम हवन जनेऊ बलि है न ब्राह्मण ! सब समान ! सब में एकही तत्व चेतन राम ! निराकार निर्गुण अविनाशी तत्व चेतन राम !
#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस
#दौलतराम
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ
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