#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #शब्द : ८१ : ऊतो रहु रस ममा की भाँती हो!
#शब्द : ८१
ऊतो रहु रस ममा की भाँती हो, सब सन्त उधारन चुनरी : १
बालमीक बन बोइया, चुनि लीन्हा शुकदेव : २
कर्म बिनौरा होइ रहा हो, सूत काते जयदेव : ३
तीन लोक ताना तनो है, ब्रह्मा विष्णु महेश : ४
नाम लेत मुनि हारिया, सुरपति सकल नरेश : ५
विष्णु जिभ्या गुण गाइया, बिनु बस्ती का देश : ६
सूने घर का पाहुना, तासों लाइनि हेत : ७
चारि वेद कैडा कियो, निराकार कियाे राछ : ८
बिने कबीरा चुनरी, में नहिं बाँधल बारि : ९
#शब्द_अर्थ :
ऊतो = भक्तजन ! रस ममा की भाँती = राम रस की तरह ! उधारन = उद्धार के लिये ! बन = कपास ! बिनौरा = कपास के बीज ! हेत = हेतु , प्रेम, लगाव, उद्देश ! कैडा = औजार , यंत्र ! निराकार = परमात्मा , शिव ! राछ = तागा उठाने का एक औजार ! कबीरा = भक्त , उपासक ! चुनरी = लाल रंग की ओढ़नी ! बारी = बांधने की ज़ंजीर !
#प्रज्ञा_बोध :
धर्मात्मा कबीर कहते हैं भाईयो जब विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के पाण्डे पुजारी ब्राह्मण और उनके धर्मगुरु आदि ने देखा कि वैदिक होम हवन की पूजा , उनके देवी देवता खुद होम हवन की अग्नि से प्रगट नहीं होते है यह यहाँ के मूलभारतीय हिन्दूधर्म के लोगो ने खास कर साधु संत , रजवाड़े के लोग धनिक व्यापारी वर्ग के लोगों ने देखा और उनका वैदिक ब्राह्मणधर्म से विश्वास उड़ाने लगा दान दक्षिणा कम मिलने लगी तो उन्होंने मूलभारतीय लोककथा दशरथ यानी मौर्य सम्राट संप्रति जो उसके चाचा सम्राट दशरथ के बाद बाल अवस्था के कारण १२ वर्ष बाद सम्राट बना उसके कहानी का आधार बनाकर सम्राट संप्रति जिस ने जैन इतिहास के अनुसार परसूराम अर्थात ब्राह्मण रावण का वध कर अयोध्या के पास एक छोटा हिस्सा जिस पर वो कब्जा बनाए बैठा था और वैदिक ब्राह्मणधर्म राज्य स्थापित करना चाहता था उसे मार डाला और वो भू भाग जिसे लोग सीता माता कहते थे मुक्त किया जिस के कारण सम्राट संप्रति मौर्य को लोग प्रति परशुराम राम कहने लगे उस स्थानीय , मूलभारतीय नागवंशी मौर्य कुल के संप्रति राम को उसके अच्छे कर्म के कारण लोग भगवान मानने लगे उस भक्ति भाव को वाल्मीकि मूलभारतीय कवि लेखक ने रामायण में नायक और भूमि को सीता ओर परशुराम को विदेशी वैदिक ब्राह्मणधर्म रावण का पात्र बनाकर महा काव्य रच डाला ! लोग इसके कर्म योग से इतने प्रभावित हुवे की सम्राट दशरथ मौर्य का भतीजा सम्राट संप्रति मौर्य राम को परमात्मा मान बैठे !
वाल्मीकि ने रामायण लिखीं तो अन्य अनेक लोगोने उसे विभिन्न भाषा में लिख कर पूरे भारत , हिंदुस्थान में उसे मूलभारतीय लोगोंका नायक और पूज्यनीय बना डाला ! बेटा हो तो कैसा हो ! राम जैसा आज्ञाकारी शील सदाचार का मूलभारतीय हिन्दूधर्म का पालन करने वाला , एक पत्नी व्रती , मर्यादा पुरुषोत्तम हो ऐसा लोग कहने लगे उसका आदर्श जीवन का दाखला देने लगे ! न्यायि , शांति अहिंसा प्रिय राम जल्दी ही लोगोंका चहिता ईश्वर , भगवान बन गया और लोग उसके मंदिर बनाकर पूजने लगे तो जैसा कि विदेशी वैदिक यूरेशियन ब्राह्मणधर्म के पाण्डे पुजारी का चरित्र रहा है , दूसरों की पुण्याई पर ब्राह्मण अपनी रोटियां सेंकने है , वैसा ही हुआ !
विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म का लंपट ब्रह्मा और मूलभारतीय प्राचीन देवता शिव और राम को वैदिक ब्राह्मणधर्म के विष्णु का अवतार बनाया गया और त्रि देव का ढोंग रचा गया !
पुरुषोत्तम संप्रति मौर्य अर्थात राम को आगे लोगोने सब दुख हरता बना दिया , शुकदेव , जयदेव से लेकर तुलसीदास सब राम और राम नाम के दीवाने हुवे ! राम का उल्टा करो तो मरा और सीधा करो तो अमरा, अमर बताकर राम नाम का प्रभाव लोगोंके जहन , दिमाग में घुसाया गया !
राम चार प्रकार के है यह बात धर्मात्मा कबीर स्पष्ट करते हुए कहते है एक राम मूलभारतीय राजा राम सम्राट संप्रति मौर्य है जो उसके चाचा सम्राट दशरथ जो सम्राट अशोक मौर्य का दूसरा बेटा था और सम्राट अशोक का पहला बेटा कुणाल जन्म से अंधा होने के कारण और कुणाल का बेटा संप्रति छोटा होने के कारण दशरथ को सम्राट अशोक की इच्छा नुसार सम्राट बनाया गया था को संप्रति बड़ा होते ही राज गद्दी सौंपने का आदेश खुद सम्राट अशोक ने दे रखा ऐसा सम्राट संप्रति मौर्य सम्राट राजा दशरथ के बाद सम्राट बनते ही लोग खुशी से झूम उठे , दीपक जलाकर खुशियां मनाई ऐसा राम एक राम है !
दूसरा राम घट घट निवासी अमर अजर तत्व चेतन राम है
तीसरा राम समस्त सृष्टि व्याप्त चेतन तत्व राम है
और चौथा राम इन सब से निराला निराकार निर्गुण अविनाशी तत्व चेतन राम है जो निर्वाण स्थित सृष्टि से बाहर है , जन्म मृत्यु के फेरे से मुक्ति है ! सब का मालिक है जीव शिव, दृश्य अदृश्य सब से अलग परमात्मा कबीर है !
कबीर साहेब कहते है लोग पहले राम में ही अटके पड़े है राम नाम रट रहे है पर राम नाम का महिमा जानते नहीं ! कबीर साहेब लोगोंको वो मूलभारतीय हिन्दूधर्म का धर्म रास्ता बताते है जो चौथे राम तक ले जाता है निराकार निर्गुण अविनाशी तत्व चेतन राम परमात्मा परमपिता कबीर राम के चैतन्य स्वरूप में स्थित करा कर बंधन मुक्त मोक्ष मार्गी निर्वाण मार्गी मूलभारतीय हिन्दूधर्म के राम के रास्ते पर !
#धर्मविक्रमादित्य_परमहंस_दौलतराम
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ
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