#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #शब्द : ८७ : क़बिरा तेरो बन कंदला में !
#शब्द : ८७
कबिरा तेरो बन कंदला में, मानु अहेरा खेलै : १
बफ़ुवारी आनन्द मृगा, रुचि रुचि सर मेलै : २
चेतन रावल पावन खेड़ा, सहजै मूल बाँधे : ३
ध्यान धनुष्य ज्ञान बाण, जागेश्वर साधे : ४
षट चक्र बेधि कमल बेधि, जाय उजियारी कीन्हा : ५
काम क्रोध लोभ मोह, हाँकि सावज दीन्हा : ६
गगन मध्ये रोकिन द्वारा, जहाँ दिवस नहिं राती : ७
दास कबीरा जाय पहुँचे, बिछुरे संग औ साथी : ८
#शब्द_अर्थ :
कबिरा = मनुष्य ! कंदला = गुफा ! मानु = मन , मनुष्य ! अहेरा = शिकार ! बफुवारी = फुलवारी , बाग बगीचा , शरीर ! आनंद मृगा = भटकाने वाला मन ! रुचि रुचि = विविध अनेक इच्छा ! सर = बाण ! मेले = चलाना ! चेतत = सावधान ! रावल = राजा , श्रेष्ठ ! पावन = पवित्र ! खेड़ा = छोटा गांव ! सहजै = सरल , संभालना ! मूल बाँधे = मूलबंध ! सावज = पशु ! गगन = आकाश ! संग औ साथी = तत्व , प्रकृति !
#प्रज्ञा_बोध :
धर्मात्मा कबीर कहते हैं भाईयो सुनो लोग जिसे योग , हट योग आदि नाम से प्रचलित , प्रसारित कर रहे है पहले उसका स्वरूप समझ लो ! ये लोग कहते है हट योग से शरीर की स्थिर रखकर मेरुदंड में विविध बंध को खोलकर पार कर मनुष्य नीचे से कपल तक स्वास या प्राण का प्रयोग व्यायाम प्राणायाम कर , स्वास रोक कर मस्तिक में दिनों आंखों के बीच नाक के ऊपर त्रिकुटी में मन को स्थिर कर शरीर और मन पर विजय प्राप्त करने वाला राजा बनता है उसे सभी सिद्धियां प्राप्त होती है वो जो चाहे वो कर सकता है उड़ सकता है , पानी के ऊपर चल सकता है आग के ऊपर चल सकता है उसे पानी डुबोता नहीं आग जलाती नहीं आदि आदि !
कबीर साहेब इन्हें बस विज्ञान मानते है योग साधना नहीं ! आज मानव विज्ञान की मदत से कई औजार मशीन बनाया है जिसके मदत से मानव आकाश में भ्रमण करता है पानी के अंदर पनडुब्बी में रहता है पानी के ऊपर स्केटिंग करता है , इसमें काई यौगिक सिद्धि नहीं विज्ञान है !
शरीर स्वस्थ होने के लिए मन स्वस्थ होना चाहिए और उसके लिये मानव जीवन मोह माया इच्छा तृष्णा रहित होना चाहिए , शरीर से उल्टे सीधे करतब दिखाते की जरूरत नहीं !
योग और योगी , योगेश्वर वही है जो मन को साधता है मन को विकार रहित कर मूलभारतीय हिन्दूधर्म का शील सदाचार भाईचारा समता शांति अहिंसा आदि मानवीय मूल्यों पर आधारित सत्य सनातन पुरातन समतावादी मानवतावादी समाजवादी वैज्ञानिक मूलभारतीय हिन्दूधर्म का पालन कर माया मोह इच्छा तृष्णा आदि पर विजय हासिल कर रावल अर्थात संज्ञान और प्रज्ञा बोध को प्राप्त करने वाला राजा बन जाता है !
योग के नाम से फैला भ्रम को कबीर साहेब दूर करते हुवे समाज को सुसंस्कृत और सत्य धर्मी होने की सिख देते है !
#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस
#दौलतराम
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ
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