Thursday, 5 September 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Ramaini : 75 : Kabir Saheb kahate hai Chetan Ram Avtar nahi leta !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #रमैनी : ७५ : कबीर कहते है चेतन राम अवतार नही लेता !

#रमैनी : ७५

तेहि साहेब के लागहु साथा * दुइ दुख मेटि के होई सनाथा 
दशरथ कुल अवतारि नहिं आया * नहिं लंका के राव सताया 
नहिं देवकी के गर्भहि आया * नहीं यशोदा गोद खेलाया 
पृथ्वी रवन धवन नहिं करिया * पैठि पताल नहीं बलि छलिया 
नहिं बलिराजा सो मांडल रारी * नहिं हरणाकुश बधल पछारी 
बराह रूप धरणी नहिं धरिया * क्षत्री मारि निक्षत्रि नही करिया 
नहिं गोबर्धन कर गहि धरिया * नहिं ग्वालन संग बन बन फिरिया 
गंडुकी शालिग्राम नहिं कुला * मच्छ कच्छ होय नहिं जल डोला 
द्वारावती शरीर नहिं छाड़ा * ले जगन्नाथ पिंड नहिं गाड़ा 

#साखी : 

कहही कबीर पुकारि के, वै पंथे मति भूल /
जेहि राखेउ अनुमान कै, सो थूल नहीं अस्थूल // ७५ //

#शब्द_अर्थ : 

साहेब = स्वामी , चेतन राम , परमात्मा , कबीर ! साथा = संगत ! दुइ दुख = खानी वाणी ! थूल = सुक्ष्म ! सनाथा = कृतार्थ ! राव = राजा रावण ! रवन = रमण ! धवन = दौड़धूप , युद्ध ! कुला = तट ! मच्छ = मच्छाअवतार ! कच्छ = कच्छ अवतार ! द्वारावती = द्वारका ! थुल = स्थूल ! अस्थूल = सुक्ष्म ! 

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते भाईयो उस परमात्मा चेतन राम की संगत करो जो राग द्वेष रहित है , वो तुम्हारे भीतर ही सद्गुण शील सदाचार भाईचारा समता मानवता के रूप में है ! 

कबीर साहेब कहते है भाईयो जो विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के पंडे पुजारी ने जनावर , विदेशी ब्राह्मण के नीच नेता और मूलभारतीय के कुछ सतपुरुष को इकठ्ठा कर विष्णू के दस अवतार का जाल बुना है जिसमे यहां के मूलभारतीय हिन्दूधर्मी लोग उलझकर रह गए है ! उसको बेनकाब करते हुवे कबीर साहेब कहते है चेतन राम , परमात्मा कोइ अवतार नही लेता ! अवतारवाद को खारिज कर कबीर साहेब कहते है जो मच्छ और कच्छ है वे पानी के जलचर है उनमें न मानवीय गुण है न शील सदाचार का कोई लक्षण ना धर्म अधर्म की पहचान है ! उसी प्रकार जो वराह और सिंग अवतार है वे भी केवल जानवर है उनमें भी कोई धर्म अधर्म शील सदाचार की पहचान नहीं ! राजा बलि को ठगने वाला विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म का एक वामन नाम का ठग, झूठा , लुटेरा था जिसने बलि राजा को अपने विदेशी वैदिक ब्राह्मण कुनबे के लिए कुछ जमीन मुफ्त में याचना कर मांगी और दयालु राजा बलि ने थोड़ी जगह उसे दी जो ये विदेशी वैदिक ब्राह्मण वामन विस्तार करता रहा और दान में मिली मुफ्त की जमीन को अपनी बताता रहा ! 

कबीर साहेब ने मूलभारतीय हिन्दूधर्म के प्रतापी लोग , सत पुरुष जैसे मौर्य सम्राट दशरथ के उत्तराधिकारी कुणाल पुत्र और दशरथ प्रिय राम उर्फ संप्रति को महान और मर्यादा पुरुषोत्तम , श्रेष्ठ पुरुष जरूर माना जिसने आज के अयोध्या के पास ब्राह्मण राज निर्माण करने की कोशिश कर रहे परशुराम ब्राह्मण रावण को लड़ाई में हराकर मार डाला वैसे ही नाग यदुवंशी कृष्ण को भी सतपुरुष माना जिसने मूलभारतीय हिन्दूधर्म पर विदेशी ब्राह्मणों का वर्चस्व स्थापित होने नही दिया और मुलभारतीय हिन्दूधर्म के ज्ञान भक्ति और कर्म मार्ग को परिभाषित किया ! इसी प्रकार बुद्ध और अन्य मुभारतीय सदपुरुष को धर्मात्मा कबीर में महान माना पर विदेशी वैदिक ब्राह्मणधर्म के लंपट विष्णु के अवतार नही ! 

कबीर साहेब कहते है चेतन राम ऐसे कोई अवतार नही लेता जो संसार में जन्म लेते है वे धार्मिक अधार्मिक अपने विचार और व्यवहार आचरण से होते है ! वैदिक ब्राह्मणधर्म ये विचार कृति से अधर्म है और मूलभारतीय हिन्दूधर्म शील सदाचार भाईचारा समता शांति अहिंसा आदि मानवीय मूल्यों पर आधारित धर्म है ! मूलभारतीय हिन्दूधर्म और विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म अलग अलग है !

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरु_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
कल्याण , #अखण्डहिंदुस्तान

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