Friday, 20 September 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Shabd : 7 : Santo kahoun to ko Patiyaai !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #शब्द : ७ : संतो कहों तो को पतियाई ! 

#शब्द : ७ 

संतो कहों तो को पतियाई, झूठ कहत सांच बनि आई : १
लौके रतन अबेध अमोलिक, नहिं गाहक नहिं सांई : २
चिमिक चीमिक चिमकै दृग दहूँदिशी, अर्ब रहा छिरियाई : ३
आपै गुरु कृपा कछु कीन्हा, निर्गुण अलख लखाई : ४
सहज समाधी उन्मनि जागे, सहज मिले रघुराई : ५
जह्न जहं देखो तह्न तहां सोई, मन मानिक बेधो हीरा : ६
परम तत्व गुरु सो पावै, कहैँ उपदेश कबीरा : ७ 

#शब्द_अर्थ : 

लौके = लौकिक प्राप्त , चमकता हुवा ! रतन = रत्न , चेतन राम ! अबेध = अखंड, अटूट ! चिमिक = चमक , प्रकाश , ज्ञान ! दृग = आंख , देखना ! दहुंदिश = दसों इंद्रिय ! अर्ब = धन , दौलत ,ज्ञान , प्रज्ञा! छिरियाई = फैलाना , छाजाना ! सहज समाधी = स्वरूप ज्ञान , जानकारी , प्रज्ञाबोध ! उन्मनि = प्रगट होना , ज्ञान होना ! स्वरूपाकार = वृत्ति ! रघुराईं = आत्मा राम , चेतन राम ! मन मानिक = तृष्णा रहित स्वच्छ मन ! हीरा = जीव तत्व , चेतन राम! 

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते है भाईयो मैं अपने सहज निर्मल शिलवान जीवन के कारण ही उस परम तत्व चेतन राम के मेरे अंतकरण में दर्शन किए है ! मैं शत प्रतिशत सच बोल रहा हूं पर लोग विश्वास नहीं करते और विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के होमहवन से देवी देवता साक्षात सशरीर होम हवन की गाय घोड़े की बली आदि से प्रसन्न होकर ब्रह्मा विष्णु इंद्र आदि अग्नि से बाहर आकर वर देते है इस ढकोसले को , ढोंग को , झूठी असत्य नारायण पूजा को , बुत परस्ती को सच मानते है तो बड़ा अचरज और दुख होता है ! 

भाईयो चेतन राम को पाना चाहते हो देखना चाहते हो अनुभूति चाहते हो तो निर्विकार होना पड़ेगा तभी उस निर्गुण निराकार परमतत्व चेतन राम रघुराय के दर्शन इधर उधर नही खुद तुम्हारे अंतकरण में होगे ! चेतन राम चाहते हो आत्माराम चाहते हो तो मन को हीरा करो ! मैल भरा मन हीरा कैसे बनेगा ! और राम मन को विशुद्ध हीरा बनाए बगैर प्रगट नही होते ! 

मैं उस परमात्मा को पाने का सबसे आसान सरल मार्ग बता रहा हूं जो सहज सरल जीवन मार्ग है ! सहज समाधी का मार्ग है ! मूलभारतीय हिन्दूधर्म का आत्मबोध , प्रज्ञाबोध का मार्ग शील सदाचार भाईचारा समता शांति अहिंसा आदि में मूल्यों पर आधारित स्वदेशी धर्म , मूलभारतीय हिन्दूधर्म ही वो मार्ग है ! 

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरु_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
कल्याण , #अखण्डहिंदुस्तान , शिवश्रृष्टि

No comments:

Post a Comment