#रमैनी : ८०
बहुतक साहस करू जिये अपना * तेहि साहेब से भेंट न सपना
खरा खोटा जिन नहिं परखाया * चाहत लाभ तिन्ह मूल गमाया
समुझी न परलि पातरी मोटी * ओछी गांठी सबै भी खोटी
कहहिं कबीर केहिं देहो खोरी * जब चलिहो जिंज़िं आसा तोरी
#शब्द_अर्थ :
तेहि साहेब = चेतन राम , परमपिता ! खरा = सत्य ! खोटा = असत्य ! मूल = मानवता , स्वरूप ! पातरी = पतली, मन की कल्पना ! मोटी = जाड़ी , माया ! ओछी = तुच्छ ! गांठी = मानसिक पक्का विचार, आसक्ति ! खोटी = सदोष ! खोरी = खोटी , झूठी ! जिजिं = अदृश माया , मोह !
#प्रज्ञा_बोध :
धर्मात्मा कबीर कहते है बहुत सारे लोग ईश्वर प्राप्ति के लिऐ अजीब अजीब तरीके आजमाते है जैसे की यहां में आ बसे विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के लोग कहते है होम हवन करें , होमहवन के अग्नि कुंड में उसे जलाने के लिए घी अनाज डालते रहें , गाय घोड़े का बलि दे , सोमरस अर्पण करे तो स्वयं ब्रह्मा , इंद्र इत्यादि देवता खुद सशरीर अग्नि कुंड से निकलकर साक्षात प्रगट होते है और ईश्वर की भेट होती है इच्छित वरदान मिलता है आदि आदि पर कबीर साहेब कहते है भाई ये सब झूठ है ऐसा तो सपने में ही हो सकता है वास्तविकता में नही !
ये विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के पंडे पुजारी ब्राह्मण न केवल खुद भ्रम में जीते है जगत में झूठ और अंधविश्वास फैलाते है , इन्होंने बड़े बड़े भ्रम मन में पाल रखे है और वो झूठ और मक्कारी के सहारे उस परमपिता चेतन राम के दर्शन करना चाहते है जो वास्तव में हर एक कण कण में घट घट में पहले ही है पर माया मोह अहंकार अज्ञान अधर्म कुसंस्कार विकृति के ब्राह्मणी जीवन मार्ग के कारण दिखाई नहीं देता है !
कबीर साहेब कहते हैं भाई मन के मैल को बहार करो मन के विकारोंको मन से बाहर निकालो , मन शुद्ध निर्मल करो और मूलभारतीय हिन्दूधर्म के शील सदाचार भाईचारा समता शांति अहिंसा आदि मानवीय मूल्यों पर आधारित सनातन पुरातन समतावादी मानवतावादी समाजवादी वैज्ञानिक दृष्टि का अपना धर्म सदधर्म का पालन करो , न तुर्की धर्म की जरूरत है न वैदिक ब्राह्मणधर्म की , ईश्वर हमारे पास ही है ! चेतन राम हमारे संग ही है जब तक जिन्दा हो तुरंत पहचान लो नही तो बिना जाने ही मर जावोगे और अंतिम समय पछताओगे !
#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस
#दौलतराम
#जगतगुरु_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ
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