Friday, 27 September 2024

Pavitra Bijak: Pragya Bodh : Shabd : 14 : Ramura Sanshay Gaanthi N chhute !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #शब्द : १४ : रामुरा संशय गाँठि न छूटै !

#शब्द : 

रामुरा संशय गाँठि न छुटे, ताते पकरि पकरि यम लूटै : १
होय कुलीन मिस्कीन कहावै, तू योगी संन्यासी : २
ज्ञानी गुणी सुर कवि दाता, ये मति किनहु न नासी : ३
सुमृति वेद पुराण पढ़ें सब, अनुभव भाव न दरसे :  ४
लोह हिरण्य होय ध्रों कैसे, जो नहिं पारस परसे : ५
जियत न तरेउ मुये का तरिहो , जियतहि जो न तैरे : ६
गहि परतीत किन्ह जिन जासों, सोई तहाँ अमरे : ७
जो कुछ कियउ ज्ञान अज्ञाना, सोई समुझ सयाना : ८
कहहिं कबीर तासों क्या कहिये, जो देखत दृष्टि भुलाना : ९

#शब्द_अर्थ : 

रामुरा = रमैया , जीव, चेतन राम! संशय = संदेह , अनिच्छित ! यम = विकार, वासनाऐं ! कुलीन = उच्च कुल ! मिस्किन =  फकीर , गरीब साधु  धार्मिक गृहस्थी !  मति = विचार , संशय ! सुमृति = मनु स्मृति ! अनुभव = प्रयोगसिद्ध ज्ञान , आत्म  बोध !  भाव = भावना ! हिरण्य = स्वर्ण !  अमरे = अमर , अंतिम स्थान पर पहुंचना ! 

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते हैं भाईयो सब लोग संशय  प्रवृति से बंधे है ! क्या करु क्या न करु समझ में नहीं आता और बिना गुरु ज्ञान के गलत कर बैठते है जैसे बहुत सारे लोग वेद , मनु स्मृति , पुराण की बातोंको सच मान बैठे है , अपना विवेक बुद्धि का प्रयोग नहीं करते है जग को खुली आंख से नहीं देखते है , बुरे अनुभव के बाद भी बुरी सिख को नहीं छोड़ते है तो ऐसे मुर्खोंका कैसे भला होगा पूछते है कबीर साहेब ! 

लोहे को सोना बनाने के लिऐ पारस की जरूरत होती है मनुष्य जीवन का सोना करना है तो पारस , परख करने वाला गुरु ढूंढना होगा , सुनी सुनाई बातों पर विश्वास मत करो अपने अनुभव स्व अनुभूति  से परखो क्या ये विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के लोग वेद और भेद वर्ण और जाति उचनिच और अस्पृश्यता विषमता आदि अमानवीय मनु स्मृति के नियम कानून और पुराण की मनगढ़न स्वर्ग नरक अप्सरा हूरें स्वर्गीय सुख के बहकावे में आपका वर्तमान समय , जीवन बर्बाद तो नहीं कर रहे आप को बर्बाद और गुमराह तो नहीं कर रहे आपसे पुण्य के काम करने के बदले विकृत और अधर्म वैदिक ब्राह्मणधर्म का पालन करने को कह कर आपका ईहिक और आध्यात्मिक शोषण तो नहीं कर रहे ? 

कबीर साहेब सावधान करते हुवे कहते है भाई जीवन में आज जीते जी तरना है मृत्यु के बाद तो शव तैरते है !  जीते जी शव मत बनो अपने हित और सुख के तुम खुद मालिक हो विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के पोंगा पंडित नहीं ना तुर्की मुस्लिमधर्म के मौलवी ! अपना स्वदेशी मूलभारतीय हिन्दूधर्म को समझो जो आपके हित और सुख के लिए है जो धार्मिकता के साथ सभ्य संस्कृति और मोक्ष दुख मुक्ति का मार्ग है , सुख कारक है जीवन सार्थक करने वाला है ! 

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
कल्याण , #अखण्डहिंदुस्थान , #शिवश्रृष्टि

No comments:

Post a Comment