#शब्द : १०
संतो राह दुनों हम दीठा : १
हिंदू तुरक हटा नहिं मानें, स्वाद सबन को मीठा : २
हिन्दू बरत एकादशि साधे, दूध सिंघारा सेती : ३
अन्न को त्यागे मन को न हटके, पारन करे सगौती : ४
तुरक रोजा निमाज गुजारे, बिसमिल बाँग पुकारे : ५
इनको बिहिस्त कहाँ से होबै, जो साँजैं मुर्गी मारे : ६
हिन्दू की दया मेहर तुरकन की, दोनों घट से त्यागी : ७
ई हलाल बै झटका मारें, आग दुनों घर लागी : ८
हिन्दू तुरक की एक राह है, सतगुरू सोई लखाई : ९
कहहिं कबीर सुनो हो संतो, राम न कहूँ खुदाई : १०
#शब्द_अर्थ :
दीठा = देखा ! हटा = मना करना ! सेती = सहित, द्वारा ! हटके = रोके ! पारन = उपवास , व्रत पर अन्न ! सगौती = मांस , गोश्त ! तुरक = तुर्की मुस्लिम ! गुजारे = अदा करे ! बिसमिल = अल्ला के नाम से ! बांग = जाहिर आवाज , अजान ! बिहिस्त = स्वर्ग ! मेहर = दया ! हलाल = जायज पशु हत्या और मांस ! झटका = झटके से मार ना , हत्या वाला पशु का मांस !
#प्रज्ञा_बोध :
धर्मात्मा कबीर कहते है विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के लोग और विदेशों तुर्की मुसलमान धर्म के लोग बड़े ढोंगी है ! एक तरफ वो एकादशी आदि तिथि पर उपवास करते रखते है, नीरजल रोजे रखते है वही उपवास के नाम से ये लोग दिनभर विविध उपवास के पदार्थ बनाकर खाते रहते है और तो और ये ढोंगी लोग अपने जीभ के चोंचले पूरे करने के लिए अपने अपने धर्म की मान्यता बताकर झटका और हलाल की रीति रिवाज से पशु हत्या करते है ऊनका मांस , गोश्त उपवास का समारोप पर खाते है और ऊपर से बताते है अल्ला ईश्वर ने प्राणी हत्या , मांस गोश्त खाने की अनुमति दी है , जायज है !
कबीर साहेब इन दोनो धर्म विदेशी वैदिक यूरेशियन ब्राह्मणधर्म और विदेशी तुर्की मुस्लिम धर्म को गलत और अधर्म अनैतीक मानते है ! वे कहते है हत्यारे कैसे स्वर्ग , जन्नत में जा सकते है ? और वे वहा जाते है कहने वाले दोनो धर्म ढोंग और असभ्य अनैतिक विकृत अधमी !
कबीर साहेब भारत में उदय हुवे मूलभारतीय हिन्दूधर्म , बुद्धधर्म ,जैनधर्म की अहिंसा , मेहरबानी कृपा दया को धर्म का मूल मानते हुवे मानव और प्राणी हत्या का विरोध करते हुवे विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म और विदेशी तुर्की मुस्लिम धर्म को अधर्म मान कर खारिज करते है ! मन की लालच मोह माया को रोकने की बात करते है कबीर साहेब !
कबीर साहेब कहते है अधमी वैदिक ब्राह्मणधर्म से ना राम , भगवान खुश है न तुर्की मुस्लिम धर्म से रहीम , अल्ला खुश है ! प्राणी हत्या से कोई ईश्वर , अल्ला , भगवान कैसे खुश हो सकता है पूछते है कबीर साहेब !
#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस
#दौलतराम
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ
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