Sunday, 29 September 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Shabd : 16 : Ramura Zizi Jantar

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #शब्द : १६ : रामुरा झीझी जंतर बाज़ै !

#शब्द : १६

रामुरा झीझी जंतर बाजै, कर चरण बिहूना नाचै : १
कर बिनु बाज़ै सुनै श्रवण बिनु, श्रवण श्रोता सोई : २
पाटन सुबस सभा बिनु अवसर, बुझो मुनि जन लोई : ३
इन्द्रि बिनु भोग स्वाद जिभ्या बिनु, अक्षय पिण्ड बिहूना : ४
जागत चोर  मन्दिर तहाँ मुसै, खसम अक्षत घर सूना : ५
बीज बिनु अंकुर पेड़ बिनु तरिवर, बिनु फूले फल फरिया : ६
बाँझ कि कोख पुत्र अवतरिया, बिनु पग तरिवर चढ़िया : ७
मसि बिनु द्वाइत कलम बिनु कागद, बिनु अक्षर सुधि होई : ८
सुधि बिनु सहज ज्ञान बिनु ज्ञाता, कहहिं जन सोई : ९ 

#शब्द_अर्थ : 

रामुरा = चेतन राम द्वारा निर्मित जीव ! झीझी = अनाहत ध्वनि  ! जंतर = यंत्र , शरीर , खोपड़ी ! बिहूना  = रहित ! पाटन = नगर !  सुबस = अच्छा निर्माण किया !  लोई  =। कबीर की पत्नी ! बिनु अवसर = निरंतर , सदैव ! पिण्ड = शरीर ! मंदिर = वृदय !  खसम = स्वामी, जीव ! अछत = रहते हुवे ! घर = वृदय !  बाँझ = सुनी कोख !  मसि = काली शाई ! द्वावत = शाई की शीशी  दवात ! सुधि = याद , चेत  !  जन  = मनुष्य !

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते लोई , साधु  , संतो भाईयो सुनो इस शरीर की रचना अद्भुत है  जिसे  चेतन राम ने बड़ी  सूक्ष्म कारगिरि की तरह बनाया है जिसमें वह खुद ज्ञान रूप में बोधि रूप में निरंतर अस्तित्व में है और खुद ही खुद के साथ बिना आवाज किए , शोर किए बोलता रहता है , उसके संवाद का आवाज बाहर नहीं सुनाई देता ! इसे अंतर्मन का आवाज कहा जाता है ,वृदय का आवाज कहा जाता है इसे न कोई अन्य बजाने वाला है न कोई अन्य साज यंत्र है इसे अनाहत आवाज ध्वनि , या चेतन राम का खुद से खुद का संवाद कहा जाता है  !  

शरीर में अंतर अवयव को धमनी से रक्त आदि पहुंचती है उस नाडी का आवाज सनसनाहट नाड़ी परीक्षा के लिए किया जाता है , अधिक बेचैनी अशांतता से खोपड़ी में जो सनसनाहट होती है वो चेतन राम की आवाज नहीं अपने शरीर की घबराहट ,  गर्माहट , ज्वर आदि से निर्मित आवाज को कुछ मूर्ख योगी साधु सन्यासी योग मायाशक्ति की आवाज समझकर कुछ अद्भुत संकेत पा लिए है ऐसा भ्रम पालते है और उस आवाज को राम से जोड़ कर  लोगोंको बताते फिरते है कि भगवान शिव राम कृष्ण आदि ने हमसे बात की इत्यादि जो सरासर मूर्खता है , ऐसी बातों में ना आवे मूर्ख , अंधविश्वासी ना बने ! ना भगवान होम हवन से ब्राह्मण के मंत्रों से प्रगट होते है ना बाहरी दर्शन देते है , वह तो सदैव तुम्हारे अंदर ही है निरंतर तुम्हे अच्छा बुरा , हितकारी , अहितकर , धर्म अधर्म , संस्कार विकृति की बात तो करता रहता है फिर उसे किसी भेष में रूप में  ढूंढने की जरूरत ही क्या ?  वो निराकार , निर्गुण , शुद्ध  ज्ञान बोध रूप में तो आपके भीतर ही है  !

भाईयो चेतन राम आपकी बाहरी चोर लुटेरे माया मोह अहंकार अंधविश्वास आदि से रक्षा करना चाहता है इसी लिए सावधान करते रहता है , माया मोह उस अधरवेल , परजीवी की तरह है जो दूसरे की  शोषण पर फलता फूलता रहता है जिसे विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म की कलम की गई शाखा मूलभारतीय हिंदूधर्म के वृक्ष पर विष के फल जाती वर्ण उचनिच अस्पृश्यता विषमता भेदभाव आदि के विष के फल दे रहा है ! 

कबीर साहेब कहते है भाईयो मैने बाहर के स्कूल कॉलेज विद्यालय विद्यापीठ गुरुमठ आदि से कोई पढ़ाई नही की है मै अनपढ़ हूं  , लिखना पढ़ना नही जानता ,  पर मैने चेतनराम की अनहद आवाज जो मेरे खुद के मन मंदिर में वृदय में निरंतर होती रहती है बहुत सरल निर्लेप भाव से सुनी है वह चेतन राम की सिख ही सदधर्म है सरल सहज जीवन !  मैने यही किया अन्दर बाहर मै राम ही राम देखता हूं  , वही मेरा मूलभारतीय हिन्दूधर्म है और वृदय  की आवाज ! 

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
कल्याण , #अखण्डहिंदुस्थान , #शिवसृष्टि

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