Friday, 27 September 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Shabd : 13 : Ram Teri Maya Dund Machavai !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #शब्द : १३ : राम तेरी माया दुन्द मचावै !

#शब्द : १३

राम तेरी माया दुन्द मचावै : १
गति मति वाकी समुझी परे नहिं, सुर नर मुनिहि नचावै : २
क्या  सेमर तेरि शाखा बढ़ाये, फूल अनुपम बानी : ३
केतेक चात्रक लागि रहे हैं, देखत रूवा उड़ानी : ४
काह खजूर बड़ाई तेरी, फल कोई नहिं पावै : ५
ग्रीषम  ऋतु जब आनि तूलानी, तेरी छाया काम न आवै : ६
आपन चतुर और को सिखावै, कनक कामिनी सयानी : ७
कहहिं कबीर सुनो हो संतो, राम चरण ऋतु मानी : ८ 

#शब्द_अर्थ : 

माया = भुलावा, धोखा, भ्रम !  दूंद = द्वंद , कलह !  राग = द्वेष !  हर्ष = आनंद ! गति = चाल ! मति = बुद्धि ! शाखा = डाली ! अनुपम = विलक्षण उत्तम ! बानी = वाणी , बनाना ! चात्रक = चात्रिक पक्षी !  रूवा = कपास , रुई ! सयानी = बुद्धिमानी ! ऋतु = मौसम बदलाव, प्रेम !

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते है भाईयो संसार  में मोहमाया इच्छा अधार्मिक अहंकार लालच ने कहर किया है उसकी तीव्रता , आवेग तृष्णा से राजा महाराजा वीर मुनि ज्ञानी साधु संत कोई नही बचा जब तक वो मन में बसे राम को समझते नहीं ! 

कबीर साहेब कहते है सेमर वृक्ष को तो सब ने देखा होगा कितने बड़े होते है , बड़े पत्ते , सुंदर फूल और बड़े बड़े फल को देख कर अक्सर पंछियों को लगता है बड़े फल है तो बड़े रसदार मीठे होंगे पर जैसे ही चोंच मारते है अन्दर से रस तो नहीं रुई बाहर निकल आती है और वो उड़ जाती है , खाने के लिए कुछ नहीं मिलता ये तो उस पेड़ की नीति है अपने बीज जो रुई को लगे रहते है उसे उड़ावो और कही अन्य जगह ले जाकर गिरावो ताकि वहां सेमर उग सके ! 

कबीर साहेब कहते है भाईयो आपने खजूर का पेड़ भी देखा होगा बड़ा ऊंचा होता है पर राह चलते लोगोंको न उसकी छाया ग्रीष्म ऋतु में काम देती है ना फल , बड़प्पन पर मत जावो , बड़ी बड़ी बातों में ना फासो , दिखावे पर ना आसक्त हो , ना मोहित हो ! सब मन का भ्रम है !  

आगे कबीर साहेब कहते है कितने ही अमीर लोग अमीरी आने पर चतुर बन जाते है और दूसरोंको अक्ल सीखने लगते है , सुंदर स्त्री भी अपने को सुंदरता की वजह से उसकी तारीफ करते है तो अपने आप को बड़ी सयानी समझने लगती है ! भाईयो इस भुलावे पर मत जावो रईस लोग धन संपत्ति दौलत कमाने के गुर बताते है जिसमें कितनी ही अनैतिकता होती है जैसे सुंदर स्त्री अपनी सुंदरता की घमंड में  चरित्र नहीं बचा पाती वैसे ही धनिक लोग संपत्ति की हाव में , चाहत में क्या सही क्या बुरा क्या धर्म क्या अधर्म सब भूल जाते है ! ऊंचा होना , श्रेष्ठ दिखाना , बड़ा बनना अगर अनैतिकता , भुलावे का कारण बन जाता है तो अंत बेकार है ! 

कबीर साहेब कहते है भाईयो उचनिच , बड़ा छोटा , श्रेष्ठ कनिष्ठ , जाति वर्णवाद , अस्पृश्यता विषमता आदि अमानवीय विचार अधर्म का आधार लेकर कुछ लोग अपने आप को श्रेष्ठ ब्राह्मण मान रहे है , अग्यान भरा वैदिक ब्राह्मणधर्म का प्रचार प्रसार कर रहे है पर उनके बड़ाई पर मत जावो , अंत में पछताओगे क्यों की वहां अधर्म विकृति के शिवाय कुछ नहीं ! धोखे के शिवाय कुछ नहीं , दिखावे के शिवाय कुछ नहीं !

अन्त में कबीर साहेब कहते है चेतन राम को जानो , सभी मौसम ऋतु में समभाव से रहो , क्षणिका मोह माया तृष्णा में भूल कर अधार्मिक , विकृत व्यवहार ना करो ताकि जीवन के अंत में पछताना न पड़े !  बड़बोले विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म और तुर्की धर्म के दिखावे पर मत जावो अपना मूलभारतीय हिन्दूधर्म का पालन कर मोक्ष , निर्वाण का सुख पावो !

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरु_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
कल्याण , #अखण्डहिंदुस्थान , #शिवश्रृष्टि

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