#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #शब्द : ५२ : बुझ लीजै ब्रह्मज्ञानी !
#शब्द :
बुझ लीजै ब्रह्मज्ञानी : १
धूरि धूरि बरसा बरसावै, परिया बुंद न पानी : २
चिऊंटी के पग हस्ती बाँधो, छेरी बीग रखावै : ३
उदधि माँह ते निकरि छाँछरी, चौड़े ग्रह करावै : ४
मेंढुक सर्प रहत एक संगे, बिलैया श्वान बियाई : ५
नित उठि सिंह सियार सौं डरपै, अदबुद कथ्यो न जाई : ६
कौने संशय मृगा बन घेरे, पारथ बाणा मेले : ७
उदधि भूपते तरिवर डाहै, मच्छ अहेरा खेले : ८
कहहिं कबीर यह अदबुद ज्ञाना, को यह ज्ञानहि बुझईं : ९
बिनु पंखे उड़ि जाय अकाशै, जीवहि मरण न सुज़ै : १०
#शब्द_अर्थ :
छेरी = बकरी ! बीग = भेड़िया ! उदधि = समुद्र ! छाँछरी = मछली ! चौड़े = मैदान ! ग्रह = घर ! अदबुद = अद्भुत ! मृगा = मन , मृगा ! बन = संसार ! पारथ = पारधी, शिकारी! भूपते = सम्राट ! मच्छ = मछली , मायर ! अहेरा = शिकार !
#प्रज्ञा_बोध :
धर्मात्मा कबीर विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के पाण्डे पुजारी ब्राह्मण से पूछते हैं ये कैसा ब्रह्मज्ञान है जो मालिक , राजा , सम्राट, मूलभारतीय , आदिवासी , बहुजन , स्थानीय लोगों को शुद्र , अस्पृश्य बना दे, दूसरे तीसरे दर्जे का नागरिक बना दे गुलाम बनाकर उनके मानव अधिकार छीन ले ! ऐसा वैदिक ब्रह्मज्ञान आपको ही मुबारक !
हमे ऐसा उल्टा निर्दयी अधमी विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म का ना धर्म चाहिए ना धर्मज्ञान !
हमे ऐसी विकृत ब्राह्मण संस्कृति नहीं चाहिए जो वास्तव में संस्कृति है ही नही जो असभ्यता , पागलपन है !
यहां चूहा बिल्ली पर हावी हो रहा है , चींटी के पैर में हाथी बैठा है , सियार शेर को डरा धमाका रहा है मछलियां मछुआरे को जाल में कैद कर रहे है मेंढक नागराज को खा रहा है और सम्राट नौकर को हवा कर रहा है और उल्टे वैदिक ज्ञान के कारण शरणार्थी ब्राह्मण मालिक बन गये है मूलभारतीय हिन्दूधर्मी मालिक गुलाम बन गये है !
कबीर साहेब यहां मूलभारतीय हिन्दूधर्मी आदिवासी हिन्दू समाज के सभी लोग जो कभी राजे सम्राट थे धनपति थे गणमान्य और गणराज थे उन सब को चेताते हुवे कहते है भाइयों विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म का वेद , मनुस्मृति , जाति वर्ण अस्पृश्यता विषमता का उल्टा धर्म ना मानो अपने समतावादी समाजवादी वैज्ञानिक मूलभारतीय हिन्दूधर्म को मानो और वैदिक ब्राह्मणधर्म के गुलामी से बाहर आवो अपने देश धर्म समाज को विदेशी गुलामी से मुक्त करो !
#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस
#दौलतराम
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ
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