#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #शब्द : ५३ : वै बिरवा चीन्हें जो कोरा !
#शब्द : ५३
वै बिरवा चीन्हें जो कोरा, जरा मरण रहित तन होय : १
बिरवा एक सकल संसारा, पेड़ एक फ़ुटल तिनि डारा : २
मध्य की डारि चारि फल लागा, शाखा पत्र गिने को वाका : ३
बेलि एक त्रिभुवन लपटानी, बाँधे ते छूटै नहिं ज्ञानी : ४
कहहिं कबीर हम जात पुकारा, पण्डित होय सो लेय बिचारा : ५
#शब्द_अर्थ :
बिरवा = वृक्ष , संसार ! तिनि डारा = तीन डाल ! मध्य डाल = तना ! चारि फल = कर्म फल ! बेलि = तृष्णा माया मोह !
#प्रज्ञा_बोध :
धर्मात्मा कबीर कहते हैं जिसने यह पूरा संसार बनाया है उस चेतन तत्व राम को जानो और उसे जो जानेगा और जीयेगा वह जरा मरण रहित तन का होगा जैसा कि अमर अजर तत्व राम है ! ऐसे राम जीवन जीने वाले बिरले है !
प्रज्ञा का बोध जिसे हो जाता है वही राममय हो जाता है ! उसे न जन्म की जरूरत होती है वह अजर अमर होता है ! संसार ज्ञान विज्ञान प्रज्ञान से चलता है लोग जो शरीर धारण करते है वे इंद्रियोंसे ज्ञान लेते है , संज्ञान लेते है , ज्ञान का नियम विज्ञान है जिसे हम जैसा करोगे वैसा भरोगे कहते है जिसे कर्म फल भी कहा जाता है , प्रज्ञा वो राम ज्ञान है जिसे जानने किसी शरीर की जरूरत नहीं इस लिये चेतन राम बिना शरीर से ही सब कुछ जानते है , त्रिकाल जानते है ! इस त्रिकाल को जानना ही प्रज्ञा बोध है इसे त्रिकाल दर्शी कोई बिरला ही होता है जैसे बुद्ध हुवे , कबीर हुवे !
प्रज्ञा बोध की कुछ कुछ झलक जब मर्त्य मानव शील सदाचार का जीवन जीना शुरू करता है मोह माया इच्छा तृष्णा अहंकार को त्याग कर आगे बढ़ता है तो एक राह नजर आती है जो स्व प्रकाशमान है उसी पर एक एक पग आगे आगे बढ़ाकर चलना होता है पर मानव जल्दी वो राह छोड़ अपनी पुरानी आदतें माया मोह इच्छा तृष्णा की तरफ बार बार वापस आकर गिरता है उठता है कोई बिरला ही अंतिम पड़ाव राम स्वरूप निर्वाण को प्राप्त करता है जैसे की बुद्ध कबीर हुवे और मार्गस्थ कबीरसत्व बोधिसत्व है !
विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के लोग इसके विपरीत उल्टा ज्ञान बताते है , झूठ बोल कर लूटते है झूठे देवी देवता , पत्थर की पूजा आदि शील रहित आचरण से वे अधर्म विकृति फैलाते है , मोह माया तृष्णा के दलदल में खुद वहीं फंसे हुए हैं और अन्य को भी फसाते है !
कबीर साहेब संसार का रहस्य बताते हुवे कहते है संसार जरा मरण ग्रस्त है , जहां तन है वहां मन है और विकार माया मोह इसके कारण है इस से जो बाहर निकलेगा वही अजर अमर स्वरूप तत्व चेतन राम के दर्शन कर सकता है निर्वाण को प्राप्त कर राममय हो सकता है !
#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस
#दौलतराम
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ
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