#शब्द : ६०
माया मोह मोहित किन्हा, ताते ज्ञान रतन हरि लिन्हा : १
जीवन ऐसी सपना जैसी, जीवन सपन पमाना : २
शब्द एक उपदेश दीन्हों, तैं छाडु परम निधाना : ३
ज्योति देखि पतंग हुलसे, पशु न पेखें आगि : ४
काल फाँस नर मुग्ध न चेतहु, कनक कामिनी लागि : ५
शेख सैय्यद कितेब निरखे, सुमृति शास्त्र विचार : ६
सतगुरू के उपदेश बिनु तैं, जानि के जीव पार : ७
कर विचार विकार परिहरि, तरण तारण सोय : ८
कहहिं कबीर भगवंत भजु नर, दुतिया और न कोय : ९
#शब्द_अर्थ :
निधाना : आधार ! हुलसै = प्रसन्न होना ! पशु = पशु , मूर्ख ! निरखे = देखना , पढ़ना ! तरण = मुक्त ! तारण = तारणहार ! कितेब = मुस्लिम धर्म कुरान ! सुमृति = वैदिक ब्राह्मणधर्म के वेद , मनु स्मृति! भगवंत = सदगुरु , अंततः परमात्मा चेतन राम ! भजु = सेवा भक्त !
#प्रज्ञा_बोध :
धर्मात्मा कबीर कहते हैं भाईयो मोह माया इच्छा तृष्णा ने मानव को मोहित कर दिया है , विवेकहीन बना दिया है ! ये जीवन दुर्लभ है पर सुख का सपना बन कर रह गया ! भाइयों इस सपने से मोह माया से कोई सदगुरु और सदधर्म ही तुम्हे पार कर सकता है !
सोना चांदी हीरे मोती महल नौकर चाकर विलास की जिंदगी चाहने वाले स्त्री और पद प्रतिष्ठा की हाव में जीवन का असली मकसद भूल कर पाप कर्म में पड़ रहे है , धर्म को छोड़ कर अधर्म अपना रहे है ! चमक दमक देख कर पतंगा उसके पास जाता है और जल जाता है , पशु और मूर्ख ये नहीं जानते माया मोह आग की तरह है उसके संपर्क मे आयेंगे तो ज़ुलस जायेंगे !
मूलभारतीय हिन्दूधर्मी समाज भी मूढ़ता से अपना सदधर्म छोड़ कर विदेशी तुर्की धर्म के जाल फंस गए है और धर्मांतर कर कर रहे है और इसके पहले वे विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के वर्ण जाति वादी नरक में फंस गए है !
कबीर साहेब कहते भाईयो विचार करो , सदधर्म और अधर्म को पहचानो , संस्कृति , सभ्यता को पहचानो और विकृति असभ्यता को छोड़ दो ! अपने सनातन पुरातन आदिवासी मूलभारतीय सिंधु हिन्दू संस्कृति और मूलभारतीय हिन्दूधर्म को याद करो जो शील सदाचार भाईचारा समता शांति अहिंसा आदि मानवीय मूल्यों पर आधारित सत्य सनातन पुरातन समतावादी मानवतावादी समाजवादी वैज्ञानिक मूलभारतीय हिन्दूधर्म आपको आपके पुरखों ने दिया है वही तारणहार है वही भगवंत का सच्चा धर्म है जो जाती वर्ण व्यवस्था के नरक से निकाल कर फिर से आपको सुख दे सकता है , मूलभारतीय हिन्दूधर्म ही तारणहार है !
#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस
#दौलतराम
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ
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