#शब्द : ५७
ना हरि भजसि न आदत छूटी : १
शब्दहिं समुज़ि सुधारत नहीं, आंधर भये हियहु की फूटी : २
पानी माहिं पषाण की रेखा, ठोंकत उठे भभूका : ३
सहस घड़ा नित उठी जल ढारै, फिर सूखे का सूखा : ४
सेतहिं सेत सितंग भौ, सैन बाढ़ू अधिकाई : ५
जो सन्निपात रोगियन मारै, सो साधुन सिद्धि पाई : ६
अनहद कहत कहत जग बिनसै, अनहद सृष्टि समानी : ७
निकट पायना यमपुर धावै, बोलै एकै बानी : ८
सतगुरु मिलैं बहुत सुख लहिये, सतगुरू शब्द सुधारें : ९
कहहिं कबीर ते सदा सुखी है, जो यह पद बिचारै : १०
#शब्द_अर्थ :
हरि = चेतनतत्व राम ! भजसि = चिंतन करना ! आदत = गलत आदत ! रेखा = छोटा भाग ! भभूका = आग , क्रोध की अग्नि ! सेतहि सेत = गंजा होना ! सितंग = शिथिलता , कमजोरी ! सैन = नींद , आलस ! सन्निपात : उन्मादी ज्वर, बीमारी ! सिद्धि = कार्य सिद्धि , सफलता, मोक्ष ! अनहद = असीम ! निकट पयाना = निकट समय ! एकै बानी = अहंकार !
#प्रज्ञा_बोध :
धर्मात्मा कबीर कहते हैं भाईयो हरि का अर्थ तात्पर्य जाने बिना हरि हरि , राम राम , कृष्ण कृष्ण , शिव शिव ऐसे रटने से कोई फायदा नहीं वो केवल एक शाब्दिक आदत हो जायेगी , आदतन शब्द रटोगे पर हासिल कुछ नहीं होगा ! मुख में राम और बगल में छुरी होगी तो राम नाम का क्या फायदा ? अपनी वाणी अर्थात शब्द को तोल तोल कर बोलो , व्यर्थ ना बोलो ! आपके वाणी से किसी को दुख ना पहुंचे ये ध्यान रखो ! शब्द उस पत्थर के ढेले जैसा है जो मुख से निकलते ही काम करता है जैसे किसी तालाब के पानी में पत्थर फेंको तो तुरंत तरंगें उठती है और दूर तक जाती है वैसे ही शब्द बड़े गहरे और लंबे समय तक काम करते है और एक बार किसी को दुख पहुंचे तो फिर कितने ही मिठे बोल बोलो , मरहम पट्टी करो शब्द के घाव जल्दी नहीं भरते !
उसी प्रकार कुछ साधु सन्यासी योग आदि साधना अभ्यास कर कहते है उन्होंने बड़ी सिद्धि पाई , उनके शब्द में बड़ा अर्थ है , ये कर लेंगे वो कर लेंगे , श्राप देंगे आदि आदि और कहते है उन्होंने ईश्वरीय अनहद बानी सुनी है वे इसी प्रकार ॐ तत सत , किसी नाम का जप करते रहते है पर जल्दी क्रोधित हो जाते है ऐसे लोगोंको क्या कहे ये तो मानसिक रोगी है ! भाई अनहद बानी , ॐ इत्यादि उच्चार से कुछ नहीं होता अपनी सोच और शब्द सुधारना होता है ! अपने अंतरमन में झांककर मन के मैल , बुराइयां , अनैतिकता आदि को बाहर निकालने की कला नहीं सिखी तो योग , तपस्या बेकार हुई ! समाज की कोई सेवा की नहीं और गालीया बके ऐसे योगी का क्या फायदा ?
कबीर साहेब कहते है जब अच्छे गुरु मिलते है सच्चा धर्म ज्ञानी मिलता है जो आपको अपनी वाणी सुधारने मे मदत करे वहीं सच्चा गुरु , हितकार्ता , मित्र है ! ऐसे लोगोंकी संगत बड़ी सुखदाई और मन को सुकुन देने वाली होती है !
#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस
#दौलतराम
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ
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