Thursday, 7 November 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Shabd : 55 : Nar Ko Dhadhas Dekho Aai !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #शब्द : ५५ : नर को ढाढ़स देखो आई !

#शब्द : ५५

नर को ढाढस देखो आई, कछु अकथ कथ्यो है भाई : १
सिंह शार्दुल एक हर जोतिनि, सीकस बोइनि धानै : २
बन की भुलैया चाखुर फेरें, छागर भये किसाने : ३
छेरी बाघे ब्याह होत है, मंगल गावै गाई : ४
बन के रोझ धरि दायज दीन्हो , गोह लो कंधे जाई : ५
कागा कापर धोवन लागे, बकुला किरपहिं दाँते : ६
माँखी मुंड मुँडावन लागी, हमहूँ जाब बराते : ७ 
कहहिं कबीर सुनो हो संतो, जो यह पद अर्थावै : ८
सोई पण्डित सोई ज्ञाता, सोई भक्त कहावै : ९ 

#शब्द_अर्थ : 

ढांढस = साहस , धैर्य ! अकथ = न कहने बताने योग्य ! शार्दुल = सिंह , एक पक्षी ! सीकस = अन उपजाऊ , ऊसर ! भुलैया = लोमड़ी ! चाखूर फेरे = घास निकाले ! छागर = बकरा ! छेरी = बकरी ! गाई = गाय ! रोझ = नीलगाय ! धरि = पकड़ा ! गोह = बड़ी छिपकली ! 

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर मानव के स्वभाव की बात समझाते हुवे कहते है मानव मन क्षण क्षण में बदलता रहता है और अलग अलग बर्ताव करता है कभी वो शेर बन जाता है तो कभी गाय ! जिससे शत्रुता बताता है उसका दोस्त भी बने जाता है , दिखावा करता है , उसके मन में कुछ और काम में और कुछ भी होता है ! 

मानव ऐसे ऐसे विपरीत काम करता है कि दंग रह जावोगे ! क्या कभी बकरी और बाघ का विवाह होता है ? क्या कोई जानवर पक्षी प्राणी कीड़ा अपने स्वभाव को भूलकर विपरीत हरकत करता है ? नहीं ! पर मानव का ऐसा नहीं है उसके मुंह में राम और बगल में छुरी भी हो सकती है ! जैसे विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के पाण्डे पुजारी ब्राह्मण करता है और सामान्य मानव भी ऐसे ही होता है ! 

कबीर साहेब कहते है मैं उसी को ज्ञानी पंडित मानता हूँ जो अपने मन में चल रहे विपरीत अधर्म को समय रहते पहचानता है और जीव को अधर्म करने से बचाता है ! 

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
#कल्याण, #अखंडहिंदुस्थान, #शिवसृष्टि

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