Wednesday, 6 November 2024

Pavitra Bijak: Pragya Bodh : Shabd : 54 : Sai Ke Sang Saasur Aai !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #शब्द : ५४ : सांई के संग सासुर आई ! 

#शब्द : ५४

सांई के संग सासुर आई : १
संग न सूति स्वाद नहिं मानी, गयो जोबन सपने की नाई : २
जना चारि मिलि लगन सोधाये, जना पाँच मिलि माँडो छाये : ३
सखी सहेलरि मंगल गावै, दुख सुख माथे हरदि चढ़ावै : ४
नाना रूप परी मन भँवरि, गांठी जोरि भाई पतियाई : ५ 
अरघा दै लै चली सुवासिनि, चौके राँड भई संग सांई : ६
भयो विवाह चली बिनु दुलहा, बाट जात समधी समुझाई : ७
कहैं कबीर हम गौने जैबै, तरब कंध लै तूर बजैबै : ८

#शब्द_अर्थ : 

सांई = मालिक , चेतन तत्व राम ! सासुर = संसार ! जना चारि = मन चित्त बुद्धि अहंकार ! जना पाँच = पांच तत्व ! सखी सहेलरि = पांच इन्द्रिय ! भँवरि = चक्कर ! भाई = अज्ञान ! अर्घ्य = अर्पण ! सुवासिनि = सुहागन ! चौके = पूजा का पाट , अंतरमन ! राँड़ = पति बिन ! समधी = सगुण उपासक ! कंध = जनेऊधारी ! तूर = तुरई बाजा ! 

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के सगुण उपासना जैसे पत्थर पूजा , बाहरी देव देवता की उनकी मान्यता , होम हवन, जनेऊ, बलि आदि अधर्म , समझ को नकारते हुवे मानव के मनोवृति की स्थिति कैसे होती है यह समझाते हुवे कहते है मानव की मनोवृति लालची है माया मोह में फंसकर अधर्म करने वाली है ! वह खाद्य अखाद्य में कभी कभी भेद नहीं करती और हिंसा , चोरी, लुट पर उतर आती है ! अपने पास जो है उससे उसे संतुष्टि नहीं मिलती वो दुष्चरित मनोवृति उसे धर्म अधर्म में भेद करने नहीं देती और लैंगिक कुकर्म के लिए लालायित करती है , अहंकार से भरा मानव भले ही अग्यानी हो मूर्ख हो खुद को ब्राह्मण पंडित बताते है जैसे कि विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के पांडे पुजारी जो सगुण उपासना में लोगोंको बेवकूफ बनते है करोड़ों मनगढ़ंत देवी देवता , अवतार , प्राण प्रतिष्ठा आदि के मार्ग से लूटते रहते है ! 

कबीर साहेब चेतन तत्व राम को निराकार निर्गुण अविनाशी बताते हुवे कहते है ये विदेशी कंधे पर जनेऊ धारी ब्राह्मण बड़े जोर जोर से निरर्थक वैदिक मंत्र बोलकर , ऊंची आवाज कर तुरई आदि बजा कर सगुण उपासना में लोगोंको आकृष्ट कर अपना उल्लू सीधा करना चाहते है पर कबीर कहते है भाई राम बाहर नहीं तुम्हारे भीतर है , कण कण में है , मन में है , अंतकरण में है , उसे साथ रहो , यहां वहां ना भटको ! तुम्हारे शरीर को समझो , उसके मनोवृति को समझो ! राम तुम्हारे पास ही है ! 

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
#कल्याण , #अखंडहिंदुस्थान, #शिवसृष्टि

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