#शब्द : ७०
जस मास पशु की तस मास नर की, रुधिर रुधिर एक सारा जी : १
पशु की मास भख़ें सब कोई, नरहिं न भखें सियारा जी : २
ब्रह्म कुलाल मेदनी भइया, उपजी बिनशि कित गइया जी : ३
मास मछरिय तै पै खइया, जो खेतन में बोइया जी : ४
माटी के करि देवी देवा, काटि काटि जिव देइया जी : ५
जो तोहरा है साँचा देवा, खेत चरत क्यों न लेइया जी : ६
कहहिं कबीर सुनो हो संतो, राम नाम नित लेइया जी : ७
जो कछु कियहु जिभ्या के स्वारथ, बदला पराया देइया जी : ८
#शब्द_अर्थ :
एक सारा = एक समान ! ब्रह्म = ब्राह्मण ! क़ुलाल = कुल के बच्चे ! मेदनी = पृथ्वी ! भइया = हुआ !
#प्रज्ञा_बोध :
धर्मात्मा कबीर कहते है भाईयो जैसा मांस पशु का होता है गाय , घोड़े का होता है वैसा ही मांस मानव का होता है ! जानवर मार कर उनका मास हिस्र पशु शेर , कुत्ते भी खा लेते है पर भाई शेर भी सियार का मांस नहीं खाता , वो भी परहेज करता है उसके लिये क्या अच्छा है और क्या बुरा !
खुद को विदेशी वैदिक यूरेशियन ब्राह्मणधर्म के ब्राह्मण गोत्र के लोग और ऊंचे कुल के लोग जनेऊ पहनने वाले ढोंगी लोग अपने होम हवन में सैकड़ों गाय बैल घोड़े की बलि देते रहे है , खून की नदिया बहाते रहे है , मांस मछली खाते रहे है ये मूर्ख ये नही जानते क्या सब का खून एक जैसा होता है , सब को काटने मारने से दर्द होता है, क्या ये ये होम हवन में बलि दी गई गाय घोड़े खेत में उगते है ? जो तुम उसे पैदा कर होम हवन में बलि देते हो ? पूछते है कबीर साहेब
कबीर साहेब कहते हैं ये विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के पांडे पुजारी ब्राह्मण ने माटी के पाथर के अगणित देवी देवता बनाए है , अवतार बनाया है और उन फालतू देवी देवता को खुश करने के नाम पर ये यजमानोसे गाय बैल घोड़े आदि की हत्या कराते है और असभ्य असंस्कृत वैदिक ब्राह्मणधर्म के गंदगी का परिचय देते है ! मास मछली , मदिरा, सोम रस मंदाकिनी ये सब इनके प्रिय है , जो देव और धर्म का नाम लेकर जम खाते और व्यभिचार करते रहे ! ये जीभ के स्वाद के लिए मास मदिरा का सेवन करते रहे पर भाईयो बुरा करेगा तो उसका भी बुरा होगा यह निसर्ग नियम है , दूसरे का गला काटोगे तो एक दिन तुम्हारा भी ग़ला कटेगा यह सृष्टि का न्याय है ! इस लिये प्राणी हत्या जीव हत्या ना करो , भोजन के क्या भोज्य क्या अभोज्य समझो , जीभ के चोंचले ना करो , जैसा करोगे वैसा भरोगे !
#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस
#दौलतराम
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ
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